जैविक खेती का चमत्कार, कपिल ने जमीन के छोटे टुकड़े से कमाए 35 लाख

राजस्थान के कपिल यादव ने 0.3 एकड़ में जैविक खेती शुरू की और आज 35 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. उनके इस सफलता का असली राज क्या है? जानने के लिए पढ़ें ये खबर.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 12 Apr, 2025 | 03:11 PM

आज हम बात करेंगे राजस्थान के कोटपुतली (बहरोड़) के एक ऐसे नौजवान की, जिसने सरकारी नौकरी की रट्टा-रटाई दुनिया को ठोकर मारकर खेती को गले लगाया और वो भी जैविक तरीके से. नाम है कपिल यादव. इनकी कहानी ऐसी है कि सुनकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा और दिमाग में एक ही सवाल घूमेगा अरे, ये तो कमाल हो गया.तो चलिए, इस कहानी को खंगालते हैं और देखते हैं कि कपिल ने ये जादू कैसे किया.

सरकारी नौकरी नहीं, खेती बनी पहचान

सपना था सरकारी नौकरी करने का, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था. साल 2020 में कपिल ने किताबों का बोझ उतारा और अपने खेत की मिट्टी को सहलाया. बस यहीं से शुरू हुआ एक अनोखा सफर. कपिल ने सोचा, जब मेहनत करनी ही है तो क्यों न कुछ ऐसा किया जाए, जिसे दुनिया देखे और उससे कुछ सीखे भी. इसके लिए उन्होंने 0.3 एकड़ की छोटी सी जमीन को अपना कैनवास बनाया और जैविक खेती की ऐसी तस्वीर पेश की कि आज उनकी कमाई 35 लाख रुपये सालाना तक पहुंच गई है.

अमरूद ने दिखाई राह

कपिल ने शुरुआत की थी एक छोटे से टुकड़े से, महज 0.3 एकड़ पर हिसार सफेदा अमरूद के पौधे लगाए. ये अमरूद इतना मीठा कि मुंह में रखते ही शहद घुल जाए और इतना टिकाऊ कि बाजार तक पहुंचने में खराब न हो. 2022 में जब फसल आई तो हर पौधे ने 30 किलो तक फल दे डाले. उसके बाद कपिल ने इसे 35 रुपये प्रति किलो बेचा. उन्होंने सिर्फ अमरूद से 75,000 रुपये तक की कमाई की.ये तो बस शुरुआत थी, असली खेल तो अभी बाकी था.

संतरे-मौसंबी ने बदली तस्वीर

कपिल ने सोचा, रुकना नहीं है, बढ़ना है. ऐसे में नागपुर के ICAR-Central Citrus Research Institute(आईसीएआर) से 525 पौधे मंगवाए संतरे और मौसंबी के. पहले साल ही हर पौधे ने 25 किलो फल दिए, जो 30 रुपये प्रति किलो बिके. कपिल का कहना है कि जब ये पेड़ पूरी तरह तैयार होंगे तो हर एक 100 किलो तक फल देगा. यानी कमाई का आंकड़ा तो आसमान छूने वाला है.

जैविक खेती का जादू

कपिल का फंडा बिल्कुल साफ है न केमिकल न नुकसान. वो केवल वर्मी कम्पोस्ट और जैविक कीटनाशकों का ही इस्तेमाल करते हैं और पौधों के बीच इतनी दूरी रखते हैं कि हर एक को भरपूर धूप और पोषण मिल सके. नतीजा ये कि फल इतने शानदार होते हैं कि उन्हें देखकर ही भूख लगने लगे और पौधे इतने सेहतमंद कि सालों तक भरपूर पैदावार देते रहें.

नर्सरी ने दी नई उड़ान, 35 लाखों का मुनाफा

उनकी नजर बाजार पर थी. उन्हें दिखा कि अच्छे फलदार पौधों की डिमांड आसमान छू रही है. बस, फिर क्या उन्होंने एक नर्सरी शुरू कर दी. आज उनकी नर्सरी पूरे देश में अमरूद, संतरा, मौसंबी जैसे पौधे सप्लाई करती है. पिछले साल कपिल ने औसतन 25,000 से ज्यादा पौधे बेचे और 30 लाख रुपये तक की कमाई की. खेती और नर्सरी को जोड़ लीजिए, कपिल हर साल 35 लाख रुपये कमा रहे हैं और ये सब सिर्फ 0.3 एकड़ में. ये कोई जादू नहीं, ये है मेहनत, लगन और सही दिशा का कमाल है.

सरकार का साथ

राजस्थान सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने में पीछे नहीं. सरकार 50 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है, जिसके चलते कपिल जैसे कई किसान अब इस राह पर चल पड़े हैं. कपिल तो बस एक मिसाल हैं, आगे तो पूरा राजस्थान हरा-भरा होने वाला है.

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