देश भर में मानसून की अच्छी बारिश के चलते भारत के प्रमुख जलाशयों में जल संग्रहण 80 फीसदी से अधिक हो गया है. केंद्रीय जल आयोग (CWC) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 161 बड़े जलाशयों में से लगभग 10 फीसदी पूरी तरह भरे हुए हैं, जबकि कुल संग्रहण क्षमता का औसत 83.47 फीसदी तक पहुंच गया है. यह पिछले साल की तुलना में 6.79 फीसदी अधिक और पिछले 10 वर्षों के औसत संग्रहण से 21.5 फीसदी ज्यादा है.
इस स्थिति से खरीफ और रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल नजर आता है, हालांकि महाराष्ट्र जैसे कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश से कुछ परेशानी भी हुई है.
जल संग्रहण और मानसून का हाल
इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने अगस्त 28 तक 6 फीसदी अधिक बारिश दी. उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में 24 फीसदी अधिक बारिश हुई, जबकि मध्य 9 फीसदी और दक्षिणी हिस्सों में 8 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई. वहीं, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में 18 फीसदी कम बारिश हुई. 728 जिलों में से 22 जिलों में बारिश सामान्य से कम रही.
राज्यों के जलाशयों की स्थिति
महाराष्ट्र और राजस्थान: 15 जलाशयों में से दो- दो जलाशय इन राज्यों में पूर्ण भरे हैं.
उत्तर भारत: 11 जलाशयों में संग्रहण 91.13 फीसदी तक, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल में 90 फीसदी से अधिक.
पूर्वी क्षेत्र: 27 जलाशय 67.72 फीसदी भरे; त्रिपुरा में 90 फीसदी से अधिक, बिहार में 80 फीसदी से ऊपर. असम, नागालैंड और ओडिशा में संग्रहण 70 फीसदी से कम.
पश्चिमी क्षेत्र: 50 जलाशयों में संग्रहण 87.19 फीसदी; महाराष्ट्र और गुजरात में क्रमशः 95 फीसदी और 79.14 फीसदी.
केंद्रीय क्षेत्र: 28 जलाशयों में संग्रहण 82 फीसदी; मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी से अधिक, उत्तर प्रदेश में 76 फीसदी, उत्तराखंड में 79.5 फीसदी.
दक्षिणी क्षेत्र: 45 जलाशयों में संग्रहण 80 फीसदी; तमिलनाडु में 95 फीसदी से ऊपर, आंध्र और कर्नाटक में 80 फीसदी से ऊपर, केरल और तेलंगाना में 75 फीसदी से अधिक.
फसलों और कृषि के लिए लाभ
इस उन्नत संग्रहण स्थिति का सीधा फायदा खरीफ और रबी फसलों को मिलेगा. पर्याप्त जल उपलब्धता से सिंचाई की संभावना बढ़ेगी, फसलों की पैदावार में सुधार होगा और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि जलाशयों का यह भराव आगामी गर्मियों और शुष्क मौसम में संकट कम करेगा और देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाएगा. वहीं, अत्यधिक बारिश वाले क्षेत्रों में प्रशासन को सतर्क रहने और जल निकासी की उचित व्यवस्था करने की सलाह दी गई है.
इस प्रकार, देश के जलाशयों में जल संग्रहण की स्थिति किसानों और आम जनता के लिए आशा की किरण साबित हो रही है, जबकि महाराष्ट्र और कुछ अन्य प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को अलर्ट पर रहना आवश्यक है.