गैर-बासमती चावल के निर्यात से पहले APEDA में कराना होगा रजिस्ट्रेशन, 20 रुपये टन होगी फीस!

सरकार गैर-बासमती चावल निर्यात से पहले रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने जा रही है. रजिस्ट्रेशन फीस 10-20 रुपये प्रति टन होगी. इससे चावल के प्रचार, टेस्टिंग और प्रोसेसिंग सुविधाएं विकसित होंगी.

नोएडा | Published: 21 May, 2025 | 11:58 AM

सरकार गैर-बासमती चावल के निर्यात से पहले एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) में निर्यात अनुबंधों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. यह व्यवस्था फिलहाल बासमती चावल के लिए पहले से लागू है. गैर-बासमती चावल के लिए इस रजिस्ट्रेशन पर 10 से 20 रुपये प्रति टन की मामूली फीस लेने की योजना है, जिसका इस्तेमाल भारतीय चावल के विदेशों में प्रचार-प्रसार के लिए किया जाएगा. बासमती चावल के लिए रजिस्ट्रेशन फीस भी 30 से बढ़ाकर 50 रुपये प्रति टन तक की जा सकती है. इस बढ़ी हुई फीस से सरकार नई टेस्टिंग और बीज प्रोसेसिंग सुविधाएं बना सकेगी.

फिलहाल, बासमती चावल के लिए एकमात्र टेस्टिंग और बीज प्रोसेसिंग सेंटर उत्तर प्रदेश के मोदिपुरम में है. अब इस फीस से मिलने वाली राशि से यूपी के पीलीभीत जिले में एक और बीज प्रोसेसिंग सेंटर खोलने की योजना है. राज्य सरकार ने इसके लिए जमीन देने पर सहमति भी दे दी है. इसके अलावा, डीएनए टेस्टिंग की सुविधा भी बढ़ाई जाएगी ताकि चावल की गुणवत्ता और पहचान सुनिश्चित की जा सके. सरकार की योजना हरियाणा के करनाल और पंजाब के अमृतसर में बासमती चावल के लिए डीएनए टेस्टिंग लैब खोलने की भी है.

रजिस्ट्रेशन की फीस 100 रुपये प्रति टन करने का सुझाव

सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते अमेरिका रवाना होने से पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने चावल निर्यातकों के साथ इस योजना पर चर्चा की थी. बैठक में उन्होंने बासमती चावल के अनुबंधों के रजिस्ट्रेशन की फीस 100 रुपये प्रति टन करने का सुझाव दिया. हालांकि, कुछ बड़े निर्यातकों के विरोध के कारण यह राशि संभवतः 50 रुपये प्रति टन पर तय की जा सकती है. बैठक के दौरान निर्यातकों ने यह सवाल उठाया कि APEDA द्वारा एकत्र की गई राशि का सही उपयोग कैसे हो रहा है. इस पर मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अब APEDA के बोर्ड में बासमती और गैर-बासमती चावल निर्यातकों में से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे.

निर्यात अनुबंधों के लिए रजिस्ट्रेशन की कोई व्यवस्था नहीं

फिलहाल गैर-बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों के लिए रजिस्ट्रेशन की कोई व्यवस्था नहीं है. मंत्री की मंजूरी मिलने के बाद इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही एक अधिसूचना जारी करेगा. मंत्री पीयूष गोयल ने गैर-बासमती चावल के निर्यातकों की इस मांग को भी मान लिया है. विदेश व्यापार नीति विशेषज्ञ और Svastha Ecoharvest के MD एस. चंद्रशेखरन ने कहा कि गैर-बासमती चावल के लिए RCAC (रजिस्ट्रेशन कम अलोकेशन सर्टिफिकेट) और फीस लागू करने से आम चावल और स्पेशलिटी चावल में अंतर करना आसान होगा. यह नई व्यवस्था हाल ही में बनाए गए HS कोड सिस्टम के अनुरूप होगी और इससे वाणिज्य मंत्रालय और APEDA को बेहतर डाटा इनसाइट्स मिलेंगे.

चावल के निर्यात पर पड़ेगा असर

हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन (UK) के बीच हुए SPS (Sanitary and Phytosanitary) जोन समझौते का असर चावल और अन्य खाद्य उत्पादों के निर्यात पर पड़ेगा. ऐसे में गैर-बासमती चावल के लिए RCAC (रजिस्ट्रेशन कम अलोकेशन सर्टिफिकेट) लागू करने से निर्यातकों को फायदा हो सकता है. विदेश व्यापार नीति विशेषज्ञ एस. चंद्रशेखरन ने कहा कि इस व्यवस्था से निर्यातकों को EU और UK जैसे बाजारों में निर्यात के समय माल की अस्वीकृति (rejection) की संभावना कम होगी, क्योंकि APEDA अब EIA (Export Inspection Agency) सर्टिफिकेट की कॉपी मांग सकता है, जो इन बाजारों में एक जरूरी शर्त है.