अरहर के दाम औंधे मुंह गिरे, MSP से नीचे पहुंची कीमतें- अब सरकार करेगी रिकॉर्ड खरीद
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में इस बार नई अरहर की फसल आते ही कीमतें तेजी से नीचे लुढ़क गई हैं. सस्ते आयात और बाजार में कमजोर मांग की वजह से भाव इतने गिर गए हैं कि किसान अपनी उपज को MSP के नीचे बेचने को मजबूर हो रहे हैं.
Tur Dal Procurement: देशभर में दालों की कीमतों को लेकर बीते कुछ महीनों से लगातार उथल-पुथल का दौर चल रहा है. लेकिन अब अरहर की नई फसल मंडियों में पहुंचते ही किसानों की चिंता और बढ़ गई है. महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में इस बार नई अरहर की फसल आते ही कीमतें तेजी से नीचे लुढ़क गई हैं. सस्ते आयात और बाजार में कमजोर मांग की वजह से भाव इतने गिर गए हैं कि किसान अपनी उपज को MSP के नीचे बेचने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसे में सरकार ने राहत देते हुए कर्नाटक में 9.67 लाख टन अरहर खरीदने का बड़ा फैसला किया है.
नई फसल पहुंचते ही कीमतों में बड़ी गिरावट
इस समय मंडियों में अरहर की कीमतें 6,700 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच पहुंच गई हैं. जबकि केंद्र सरकार ने इस साल अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 8,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. यानी किसानों को MSP से सैकड़ों रुपये कम दाम मिल रहे हैं.
पिछले साल इसी समय अरहर का भाव 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा रहा था, ऐसे में इस बार की गिरावट किसानों की आय पर सीधी चोट बना रही है.
सरकारी खरीद बनेगी सहारा
कर्नाटक से भेजे गए प्रस्ताव के बाद कृषि मंत्रालय ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत 9.67 लाख टन अरहर खरीदने की मंजूरी दे दी है. यह खरीदी 90 दिनों तक चलेगी.
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, जैसे ही सरकारी खरीद शुरू होगी, गिरते बाजार भाव को कुछ सहारा मिल सकता है. कर्नाटक और महाराष्ट्र के कई जिलों में फसल की आवक बढ़ने लगी है, आने वाले दिनों में इसका दबाव और बढ़ सकता है.
सस्ते आयात ने बिगाड़ा बाजार का संतुलन
घरेलू बाजार में पैसे की तंगी और आयात की भरमार ने मिलकर अरहर के दामों को और नीचे धकेल दिया है. अफ्रीकी देशों से आने वाली अरहर की कीमत 4,900 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो भारतीय फसल की तुलना में काफी सस्ती है. अंदाजा है कि इस साल अफ्रीका से करीब 8 लाख टन, म्यांमार से 3–4 लाख टन अरहर भारत में आएगी.
चूंकि मार्च 2026 तक अरहर पर आयात शुल्क शून्य है, इसलिए व्यापारी भारी मात्रा में आयात कर रहे हैं. अप्रैल–सितंबर 2025 के बीच ही देश में 3.97 लाख टन अरहर आयात हो चुकी है.
बारिश और मौसम ने भी फसल की गुणवत्ता पर असर डाला
कर्नाटक के कलबुर्गी सहित कई जिलों में हुई अधिक बारिश ने अरहर की फसल को नुकसान पहुंचाया है. दाने की गुणवत्ता प्रभावित हुई है और फूल आने की प्रक्रिया पर भी असर पड़ा है.
कृषि मंत्रालय के पहले अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष अरहर का उत्पादन 35.97 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है.
त्योहार से पहले बढ़ सकती है मांग
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बाजार में मांग कमजोर है, लेकिन पोंगल से पहले यानी 20–25 दिसंबर के दौरान अरहर की मांग में तेजी आने की उम्मीद है. हालांकि व्यापारी बड़े स्टॉक नहीं जुटा रहे, क्योंकि बाजार में उपलब्धता अधिक है और पिछले साल के नुकसान का डर भी बना हुआ है.