बांग्लादेश ने घटाई भारत से सोया खरीद, अब करेगा अमेरिका से 1 अरब डॉलर का सौदा, जानिए वजह
बांग्लादेश ने अमेरिका से 1 अरब डॉलर का सोयाबीन खरीदने का करार किया है. इस करार के तहत आने वाले 12 महीनों में बांग्लादेश की तीन बड़ी सोया-क्रशिंग कंपनियां अमेरिकी सोयाबीन का आयात करेंगी. इससे भारत से सोयामील की मांग और कम होने की आशंका है.
बांग्लादेश लंबे समय से भारत के सोयामील का बड़ा खरीदार रहा है. लेकिन हाल के वर्षों में भारत से उसकी खरीद लगातार घट रही है. वर्ष 2024-25 में भारत से बांग्लादेश को सोयामील का निर्यात घटकर सिर्फ 1.63 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 3.02 लाख टन था.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अब बांग्लादेश ने अमेरिका से 1 अरब डॉलर का सोयाबीन खरीदने का करार किया है. इस करार के तहत आने वाले 12 महीनों में बांग्लादेश की तीन बड़ी सोया-क्रशिंग कंपनियां अमेरिकी सोयाबीन का आयात करेंगी. इससे भारत से सोयामील की मांग और कम होने की आशंका है.
भारतीय सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (SOPA) के कार्यकारी निदेशक डी.एन. पाठक का कहना है, “अमेरिकी सोयाबीन सस्ते दामों पर उपलब्ध है. बांग्लादेश अब अमेरिका से बड़े पैमाने पर आयात करेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को झटका लगना तय है.”
अमेरिका को चीन के बाद मिला नया बड़ा बाजार
यह करार ऐसे समय हुआ है जब चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव चल रहा है. चीन ने अमेरिकी सोयाबीन पर 13 प्रतिशत आयात शुल्क बनाए रखा है, जिससे चीन की खरीद कम हो गई है. अब अमेरिका अपनी सोयाबीन की बिक्री के लिए नए बाजार तलाश रहा है, और बांग्लादेश उसके लिए एक उपयुक्त विकल्प बन गया है. दूसरी ओर, भारत को भी यह चिंता सताने लगी है कि अमेरिका अब एशियाई बाजारों में सस्ती कीमतों के दम पर भारतीय उत्पादों को पछाड़ सकता है.
महंगी कीमतों ने भारत की मुश्किलें बढ़ाईं
भारतीय सोयामील की सबसे बड़ी चुनौती उसकी कीमत है. भारत में बनने वाला सोयामील “गैर-जेनेटिकली मॉडिफाइड (Non-GM)” होता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर माना जाता है, लेकिन इसकी लागत अधिक होती है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोयामील की कीमत जीएम सोयामील से करीब 100 डॉलर प्रति टन ज्यादा होती है. यही वजह है कि कीमतों की प्रतिस्पर्धा में भारतीय उत्पाद अक्सर पीछे रह जाते हैं.
तेल वर्ष 2024-25 में भारत का कुल सोयामील निर्यात 21.28 लाख टन से घटकर 20.23 लाख टन रह गया. यानी करीब 5 फीसदी की गिरावट.
यूरोप ने कुछ हद तक संभाला मोर्चा
जहां एशियाई देशों से मांग घटी, वहीं यूरोपीय देशों ने भारत से सोयामील की खरीद बढ़ाई. जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड ने नए नियम लागू होने से पहले बड़े पैमाने पर सोयामील की अग्रिम खरीद की. जर्मनी को निर्यात चार गुना बढ़कर 4.10 लाख टन हुआ, जबकि फ्रांस और नीदरलैंड को भी शिपमेंट में बड़ा इजाफा देखने को मिला. हालांकि, ईरान जैसे देशों में भुगतान और प्रतिबंधों की समस्या के कारण निर्यात में रुकावट आई.
नए नियमों के अनुरूप हो रहा है भारत का उद्योग
यूरोपीय संघ में लागू होने वाले EU Deforestation Regulation (EUDR) को ध्यान में रखते हुए भारत के सोयामील उत्पादक अपने सिस्टम को सुधारने में जुटे हैं. डी.एन. पाठक ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार और उद्योग संगठन मिलकर नई मानकों के अनुरूप होने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. इससे भारत भविष्य में यूरोपीय बाजारों में अपनी स्थिति बनाए रख सकेगा.
चुनौती और उम्मीद दोनों
अमेरिका-बांग्लादेश के इस करार ने भारत के सोयामील उद्योग के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025-26 का तेल वर्ष भारतीय निर्यातकों के लिए कठिन साबित हो सकता है. हालांकि अगर वैश्विक बाजार में कीमतें सुधरती हैं और यूरोपीय मांग बनी रहती है, तो भारत दोबारा अपनी जगह मजबूत कर सकता है.
फिलहाल, भारत को सस्ती अमेरिकी आपूर्ति और बदलती वैश्विक व्यापार नीतियों से निपटने के लिए अपनी रणनीति और उत्पादन लागत पर फिर से विचार करना होगा.