उत्तर प्रदेश सरकार इस बार सिर्फ गेहूं ही नहीं, बल्कि उससे निकलने वाले भूसे की भी बड़े पैमाने पर खरीद कर रही है. यह फैसला राज्यभर में मौजूद करीब 13 लाख आवारा गायों और पशुओं के लिए चारे की स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है. इस फैसले से न केवल पशुओं को साल भर खाना मिलेगा, बल्कि किसानों को भी इस भूसे का अच्छा लाभ मिल सकता है.
गेहूं के साथ भूसा भी सरकारी खरीद में शामिल
हर साल यूपी सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदती है. लेकिन इस बार सिर्फ गेहूं ही नहीं, बल्कि भूसा भी सरकार के ‘खरीद सूची’ में शामिल हो गया है. यह भूसा उन 13 लाख से ज्यादा आवारा गायों और बैलों के लिए जमा किया जा रहा है जो राज्य के करीब 7,500 गौ-संरक्षण केंद्रों में रखे गए हैं.
भूसा इकट्ठा करने का अभियान जोरों पर
सरकार ने 15 अप्रैल से एक विशेष भूसा संग्रह अभियान शुरू किया है, जो 31 मई तक चलेगा. इस दौरान भूसे को दो तरीकों से जमा किया जा रहा है-एक, दान के जरिए और दूसरा, खरीद के जरिए. पशुपालन विभाग के अनुसार, इस साल भूसे का कुल लक्ष्य लगभग 88 लाख क्विंटल तय किया गया है, जो सालभर की जरूरत का करीब 60% हिस्सा पूरा करेगा.
दान और खरीद दोनों से होगी पूर्ति
सरकार का अनुमान है कि इस लक्ष्य का 30% यानी करीब 26 लाख क्विंटल भूसा दान के रूप में मिलेगा और बाकी 70% यानी लगभग 62 लाख क्विंटल भूसा खरीद के जरिए इकट्ठा किया जाएगा. भूसे की सरकारी खरीद ₹850 प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है, जो कि किसान के लिए भी एक बेहतर विकल्प बन सकता है.
अब तक कितनी हुई प्रगति?
28 अप्रैल तक लगभग 2.31 लाख क्विंटल भूसा इकट्ठा किया जा चुका है. इसमें दान से आए भूसे की मात्रा करीब 12.6% है, जबकि खरीदे गए भूसे की हिस्सेदारी 31.7% तक पहुंच चुकी है. सरकार इस आंकड़े को और बढ़ाने में जुटी है, ताकि किसी भी समय पशुओं को चारे की कमी न हो.
भूसा बैंक: साल भर के लिए स्टोरेज की सुविधा
इकट्ठा किया गया भूसा हर जिले में बनाए गए ‘भूसा बैंक’ में स्टोर किया जाता है. जब भी किसी केंद्र पर चारे की ज़रूरत होती है, वहीं से भूसा भेजा जाता है. इससे चारे की आपूर्ति नियमित बनी रहती है और किसी मौसम या आपात स्थिति में भी गायों को भूखा नहीं रहना पड़ता.
पशु आहार के लिए ₹2,000 करोड़ का बजट
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2025-26 के लिए ₹2,000 करोड़ का बजट सिर्फ आवारा पशुओं के भोजन पर खर्च करने का फैसला लिया है. यह अपने-आप में एक बड़ा कदम है, जो दिखाता है कि सरकार गायों के संरक्षण और पालन को लेकर गंभीर है.