घर पर आसानी से बनाएं ब्लू स्टिकी ट्रैप, हवा में उड़ने वाले कीटों को फसलों से करता है दूर

ब्लू स्टिकी ट्रैप लगाने से किसानों को कीटनाशक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है. इससे किसानों की लागत भी कम होती है और वातावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 21 Jun, 2025 | 09:16 AM

किसानों के सामने अपनी फसलों को कीटों से सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती होती है. बाजार में इन कीटों की रोकथाम के लिए कई तरह के कीटनाशक उपलब्ध हैं लेकिन बहुत से किसान ऐसे हैं जो इन अपनी फसलों पर केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल करने से बचते हैं. ऐसे में किसान अपनी फसलों को कीटों से बचाने के लिए खुद से कीटों को आकर्षित करने वाले ट्रैप बना सकते हैं. इन्हीं में से एक ट्रैप है ब्लू स्टिकी ट्रैप , जिसे किसान आसानी से कम लागत में बना सकते हैं और यह पूरी तरह से केमिकल फ्री और वातावरण के अनुकूल होता है.

ऐसे तैयार करें ब्लू स्टिकी ट्रैप

ब्लू स्टिकी ट्रैप बनाने के लिए किसी भी तरह की नीली प्लास्टिक शीट या मोचा कागज लें , अगर आपके पास नीले रंग की शीट नहीं है तो सफेद शीट को नीले पेंट से रंग सकते हैं. इसके बाद नीली शीट के दोनों तरफ गोंद या वैसलीन की मोटी परत लगाएं ताकि वो चिपचिपा हो जाए. चाहें तो कैस्टर ऑयल में थोड़ा सा फेविकोल मिलाकर चिपचिपा घोल बना लें. ध्यान रहे कि शीट में लगा गोंद सूखे न हमेशा चिपचिपा बना रहे. इसके बाद नीली शीट पर दो छेद करें और किसी डोरी या तार की मदद से खेत या पौधे के ऊपर टांग दें.

कैसे काम करता है ये ट्रैप

खेतों में लगा ब्लू स्टिकी ट्रैप अपने नीले रंग के कारण कीटों को अपनी ओर आकर्षित करता है. ये ट्रैप उड़ने वाले कीटों पर ज्यादा असर करता है, मुख्य रूप से ये ट्रैप थ्रिप्स को नियंत्रित करता है क्योंकि नीला रंग थ्रिप्स को विशेष रूप से आकर्षित करता है. जैसे ही कीट नीले रंग से आकर्षित होकर पास आते हैं वे इस चिपचिपे ट्रैप में चिपक जाते हैं और धीरे-धीरे मर जाते हैं. बता दें कि अगर इस ट्रैप में चिपकने वाले कीटों की संख्या बहुत ज्यादा होती है तो किसानों के लिए ये चेतावनी होती है कि उनकी फसल को खतरा है. इसके अनुसार वे अपनी फसलों को सुरक्षित करने का इंतजाम करते हैं.

ब्लू स्टिकी ट्रैप के फायदे

ब्लू स्टिकी ट्रैप लगाने से किसानों को कीटनाशक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है. इससे किसानों की लागत भी कम होती है और वातावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है. इसको लगाने से किसानों को समय रहते कीटों और उनसे होने वाले नुकसान का अंदाजा लग जाता है और किसान सुरक्षा के इंतजाम कर सकते हैं.

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Published: 21 Jun, 2025 | 06:00 AM

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