‘काला सोना’ के नाम से लोकप्रिय ये भारतीय मसाला, मॉडर्न खेती से हो सकती है 22 लाख तक कमाई
काली मिर्च दुनिया का सबसे पुराना मसाला माना जाता है, दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों में इसकी खेती लगभग 4 हजार साल पहले से की जा रही है. काली मिर्च की बात पुराने सांस्कृतिक ग्रंथों और आयुर्वेद में भी की गई है. पूरी दुनिया में काली मिर्च की खेती के मामले में भारत नंबर एक पर है.
काली मिर्च भारतीय मसालों में प्रमुख मसाला है. खाने को तीखा स्वाद देने के लिए काली मिर्च लोगों का पसंदीदा मसाला है. क्योंकि इसके फायदे बहुत हैं. काली मिर्च में पाइपराइन नामक रसायन होता है, जिसके कारण इसका स्वाद तीखा होता है. बात करें इसके उत्पादन की तो भारत काली मिर्च के उत्पादन में दुनिया का नंबर 1 देश है. वैसे तो देश में काली मिर्च की खेती कई हिस्सों में होती है लेकिन कुल उत्पादन का 90 फीसदी केवल केरल में ही होती है. काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है. विदेशों में अपनी बढ़ती डिमांड के चलते इसे काला सोना या (Black Gold) कहा जाता है. इसके अलावा काली मिर्च को काला सोना कहने के पीछे इतिहास भी जुड़ा हुआ है.
क्यों कहते हैं काला सोना
काली मिर्च को कई कारणों से काला सोना कहते हैं लेकिन इनमें से अगर ऐतिहासिक कारण की बात करें तो पुराने समय में काली मिर्च का व्यापार सोने-चांदी के बदले किया जाता था. रोमनों ने काली मिर्च की कीमतें इतनी ऊंची रखीं कि उस जमाने में काली मिर्च को लोग संपत्ति के रूप में इस्तेमाल करने लग गए थे. मध्य काल के दौरान यूरोपीय देशों में काली मिर्च की कीमत इतनी ज्यादा थी कि इसका सेवन केवल अमीर लोग ही करते थे. पुराने समय में काली मिर्च की कीमतें इतनी ज्यादा हुआ करती थी कि गरीब वर्ग के लोगों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल हुआ करता था.
भारत में कब शुरू हुई खेती
काली मिर्च दुनिया का सबसे पुराना मसाला है , दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों में इसकी खेती लगभग 4 हजार साल पहले से की जा रही है. काली मिर्च की बात पुराने सांस्कृतिक ग्रंथों और आयुर्वेद में भी की गई है. पूरी दुनिया में काली मिर्च की खेती के मामले में भारत नंबर एक पर है. भारत से निकल कर काली मिर्च पहले अरब देशों में पहुंची, फिर यूरोप, चीन और उसके बाद दक्षिण एशिया में पहुंची.
भारी मात्रा में होता है काली मिर्च का निर्यात
भारत से काली मिर्च का निर्यात बड़ी मात्रा में देशभर के कई देशों में होता है. इन देशों में अमेरिका (USA), जर्मनी, यूके, सऊदी अरब, यूएई, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस और जापान शामिल हैं. बता दें कि इन सभी देशों में काली मिर्च का इस्तेमाल खाने में, दवा बनाने में और फूड प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है. बात करें भारत से सालान इसके निर्यात की तो मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार साल 2023-24 में एक साल में काली मिर्च का 17 हजार टन से 20 हजार टन का निर्यात किया गया. काली मिर्च की औसतन निर्यात कीमत 500 से 900 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है.
काली मिर्च से होने वाला उत्पादन
भारत में काली मिर्च का सालाना उत्पादन 65 हजार से 70 हजार टन तक होता है. बात करें काली मिर्च की खेती से मिलने वाली उपज की तो काली मिर्च की फसल बुवाई के 3 से 4 बाद पैदावार देती है. बता दें कि इसकी एक एकड़ जमीन पर लगभग 400 से 450 बेल लगाई जाती हैं . हर एक बेल से औसतन 1.5 से 2 किलोग्राम तक पैदावार होती है. अगर फसल की सही से देखभाल की जाए तो प्रति एकड़ फसल से 600 से 800 किलोग्राम पैदावार मिल सकती है. मीडिया रिपोर्टेस के आंकड़ों के अनुसार साल 204-25 में काली मिर्च की औसतन कीमत 450 से 600 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
खेती में लागत और मुनाफा
काली मिर्च की खेती में किसानों को पहले साल कुल लागत 80 हजार से 90 हजार लगानी पड़ती है . दूसरे साल से ये लागत घटकर मात्र 40 से 50 हजार रह जाती है. अगर खेती में आने वाली कुल लागत को तोड़ा जाए तो पौधे की लागत 25 से 30 हजार तक होती है. पौधे को सहारा देने के लिए व्यव्सथा करनी पड़ती है जिसमें 10 हजार तक का खर्च आता है. खाद, जैव उर्वरक , सिंताई और पाइपिंग आदि में 30 हजार रुपये और फसल के रख रखाव में करीब 20 हजार रुपये तक का खर्च हो रहा है. बात करें मुनाफे की तो काली मिर्च की फसल से तीसरे साल में मुनाफा मिलने लगता है. एक ओर जहां खेती की लागत घटकर 50 हजार हो जाती है वहीं 3.5 से 4 लाख तक की आमदनी भी हो जाती है. वहीं अगर काली मिर्च की खेती आधुनिक तरीकों से की जाए तो किसान 22 लाख तक की कमाई कर सकते हैं.
ऐसे करें खेती
काली मिर्च की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई-दोमट या लाल लेटराइट मिट्टी सही होती है जिसका pH मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए. इसकी खेती के लिए 23 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान ठीक होता है जिसमें 200 से 300 सेमी तक बारिश हुई हो. काली मिर्च एक बेल वाला पौधा है जिसे बढ़ने के लिए सहारे की जरूरत होती है, काली मिर्च के पौधे को लगाने से पहले ध्यान रखें कि इसके पौधों के बीच 2.5 मीटर या 3 मीचर की दूरी होना जरूरी है. काली मिर्च के पौधे की सिंचाई करने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक बेस्ट होती है. बता दें कि गर्मी के दिनों में इसके पौधे को हर 7 से 10 दिन में एक बार और सर्दियों में 15 से 20 दिन में एक बार पानी की जरूरत होती है. बारिश में जरूरत के हिसाब से ही पौधे को पानी दें लेकिन पानी को जमा न होने दें. पानी जमा होने की स्थिति में फसल खराब हो सकती है.