गेहूं की पराली जलाने के मामलों में रिकॉर्ड गिरावट, 4 साल में सबसे कम केस

हरियाणा में रबी फसल की पराली जलाने के मामलों में इस साल गिरावट दर्ज की गई है. 1 अप्रैल से 4 मई के बीच केवल 681 मामले सामने आए, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम हैं.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 5 May, 2025 | 01:43 PM

सरकार की सख्ती और जागरूकता अभियान के बाद हरियाणा में रबी फसलों की पराली जलाने के मामले में रिकॉर्ड गिरावट आई है. इस साल 1 अप्रैल से 4 मई के बीच पराली जलाने के केवल 681 मामले सामने आए हैं, जो पिछले चार सालों में सबसे कम हैं. जबकि, साल 2022 में 2,459, साल 2023 में 775 और साल 2024 में पराली जलाने के 1,157  मामले दर्ज किए गए थे. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में पराली जलाने के आंकड़ों में और गिरावट आएगी.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल हरियाणा में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले झज्जर में दर्ज किए गए, जहां 141 घटनाएं सामने आईं. इसके बाद रोहतक में 88, सोनीपत में 73, कैथल में 52 और करनाल में 46 मामले सामने आए हैं. वहीं, सिरसा और जींद में 38-38, चरखी दादरी में 33, हिसार में 31 और फतेहाबाद में 30 पराली जलाने के केस सामने आए हैं. इसी तरह पानीपत में 28, कुरुक्षेत्र में 25, अंबाला और यमुनानगर में 16-16, पलवल में 11, भिवानी में 10 और फरीदाबाद में सिर्फ 5 मामले दर्ज किए गए हैं.

वायु गुणवत्ता बेहतर हो रही है

अधिकारियों का कहना है कि यह सकारात्मक बदलाव सरकार की योजनाओं, जमीनी स्तर पर जागरूकता और इन-सिचू पराली प्रबंधन के लिए उपकरणों की मदद से संभव हो पाया है. इससे न केवल वायु गुणवत्ता बेहतर हो रही है, बल्कि टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है. सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी की विशेषज्ञ स्वगता डे ने कहा कि गर्मियों में रबी फसलों की पराली जलाने पर अक्सर चर्चा नहीं होती, क्योंकि उस समय हवा की दिशा बदलने से उसका असर इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र में कम पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस साल हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में कमी आना एक उत्साहजनक संकेत है.

इस वजह से मामले में आई गिरावट

खास बात यह है कि पराली जलाने के ये आंकड़े भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने जारी किए हैं. IARI के अनुसार, लगातार गिरावट का कारण किसानों में बढ़ती जागरूकता, सख्त नियमों का पालन और पराली प्रबंधन के टिकाऊ उपायों को अपनाना है. पर्यावरण मामलों के जानकार शुभांश तिवारी (CSE) का कहना है कि अब कई स्टार्टअप्स किसानों से पराली खरीद रहे हैं, जिससे उन्हें लाभ मिल रहा है. साथ ही, किसानों को खेत प्रबंधन के लिए नए उपकरण भी मिल रहे हैं और उनमें जागरूकता भी बढ़ी है. वहीं, राज्य सरकार भी पराली प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी पर मशीनें दे रही हैं. इससे भी पराली जलाने के मामले में गिरावट आ रही है.

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