खरीफ सीजन में धान की खेती को अब एक नए तरीके से अपनाने की सलाह दी जा रही है, जिससे किसानों की लागत में भारी कटौती हो सके और उनकी आमदनी बढ़े. गेहूं की तरह धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice) को कृषि वैज्ञानिकों ने एक कारगर विकल्प के रूप में पेश किया है. इस विधि से लागत बचाने की संभावना बताई जा रही है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में धान की खेती मुख्य रूप से नर्सरी तैयार कर के फिर रोपाई करने के तरीके से होती है, जो समय, मेहनत और अधिक खर्चीली होती है.
लेकिन कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान की सीधी बुवाई से नर्सरी तैयार करने, पलेवा लगाने और रोपाई की सारी खर्चीली प्रक्रिया खत्म हो जाती है. इससे न केवल लागत कम होती है, बल्कि फसल लगाने में भी आसानी होती है. वैज्ञानिकों ने ‘जीरो सीड ड्रिल’ और ‘हैप्पी सीडर’ जैसे आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा दिया है, जो बीज और खाद को एक साथ खेत में डालने की सुविधा देते हैं. इससे पौधों को पोषक तत्व जल्दी मिलते हैं और फसल की सेहत बेहतर होती है.
सीधी बुवाई से किसानों की लागत में कटौती
गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी डॉ. एस. के. तोमर और कृषि विशेषज्ञ मनोज कुमार ने बताया कि इस सीधी बुवाई विधि से न केवल मजदूरी और नर्सरी तैयार करने के खर्च में बचत होती है, बल्कि बीज और खाद की भी बचत होती है. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 12,500 रुपये की लागत कम हो जाती है, जो किसानों के लिए काफी बड़ी राहत है.
बीज की मात्रा और बुवाई का सही समय
धान की सीधी बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 10 से 20 जून के बीच माना गया है, ताकि मौसम की अनुकूलता के साथ फसल की बढ़वार हो सके. मध्यम और मोटे दाने वाले धान के लिए 35 किलो, महीन दाने वाले धान के लिए 25 किलो और संकर प्रजातियों के लिए मात्र 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई की जानी चाहिए.
कृषि उपकरणों पर 50 फीसदी अनुदान
सरकार भी किसानी में यूज होने वाले आधुनिक कृषि उपकरणों पर 50 फीसदी तक अनुदान भी उपलब्ध करा रही है, जिससे किसानों को आर्थिक मदद मिल सके. इस नई पद्धति से किसानों को खेती के काम में भी आसानी होगी, समय बचेगा और फसल की पैदावार में भी सुधार होगा.
किसानों की आय बढ़ाने सहायक
धान की सीधी बुवाई तकनीक न केवल किसानों की लागत घटाएगी, बल्कि उनकी मेहनत भी कम करेगी और आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी. इस पहल से कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की उम्मीद की जा रही है, जो खरीफ सीजन की खेती को ज्यादा उत्पादक और सस्ते में करने में मदद करेगी.