ओडिशा के आम पहुंचे फ्रांस-बेल्जियम, किसानों को मिला तगड़ा मुनाफा

पहले ओडिशा के आम मुख्य रूप से दुबई, लंदन, बर्मिंघम, रोम, वेनिस और डबलिन जैसे शहरों में ही निर्यात होते थे, लेकिन अब उनकी पहुंच और भी व्यापक हो गई है, जिससे किसानों की आमदनी में भी खासा इजाफा हुआ है.

नई दिल्ली | Published: 7 Jun, 2025 | 12:53 PM

ओडिशा के किसान अब अपने स्वादिष्ट आमों को फ्रांस और बेल्जियम जैसे प्रतिष्ठित यूरोपीय बाजारों तक पहुंचाने में सफल हो गए हैं. यह सिर्फ किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. पहले ओडिशा के आम मुख्य रूप से दुबई, लंदन, बर्मिंघम, रोम, वेनिस और डबलिन जैसे शहरों में ही निर्यात होते थे, लेकिन अब उनकी पहुंच और भी व्यापक हो गई है, जिससे किसानों की आमदनी में भी खासा इजाफा हुआ है.

हाल में ओडिशा ने सात से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने आमों का निर्यात किया है. 2025-26 के पहले कुछ महीनों में निर्यात की मात्रा और गंतव्यों की संख्या दोनों में बढ़ोतरी हुई है. जून के पहले सप्ताह में ही लंदन और दुबई को कुल 13.4 टन आम भेजे गए, जिसमें किसानों के समूहों की बड़ी भूमिका रही.

किसानों की मेहनत और बेहतर तकनीक की बदौलत

इस सफलता के पीछे कई किसान उत्पादक कंपनियां (FPOs) जैसे सप्तसज्या फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, धरित्री एग्रो प्लस, कंकड़हड़ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और सुगंधा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का बड़ा योगदान है. इन संगठनों ने किसान उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता में तैयार कर वैश्विक बाजार तक पहुंचाया.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा के डेप्युटी डायरेक्टर ऑफ हॉर्टिकल्चर, गिताश्री पाठि ने बताया कि फ्रांस और बेल्जियम जैसे बाजारों में ओडिशा के आमों की स्वीकार्यता बढ़ना किसानों की मेहनत और राज्य के बागवानी क्षेत्र की मजबूती का प्रमाण है. यह उपलब्धि पूरे ओडिशा के लिए गर्व का विषय है.

आय में हुई बड़ी बढ़ोतरी

कंकड़हड़ के किसान और सदस्य सुभाषिनी चार्टर ने कहा, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे आम फ्रांस तक पहुंचेंगे. इस मौके ने हमारी आय में काफी सुधार किया है और हमारे गांव के लिए गर्व का कारण बना है. हम कृषि विभाग और पैलेडियम का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमें इस सफर में मार्गदर्शन दिया.”

नए बाजारों तक सीधे पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के कारण ओडिशा के आमों को 40 से 60 फीसदी अधिक कीमत मिल रही है. यह सब संभव हो पाया है किसानों के संगठन, सरकार की योजनाओं और तकनीकी सहायता से, जो कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं.