जूट की खेती से कमाई का सुनहरा मौका, ऐसे करें शुरुआत

जूट की खेती के लिए सही समय पर बुवाई करना जरूरी होता है, आमतौर पर इसे मार्च से मई के बीच बोया जाता है.

Kisan India
Noida | Published: 4 Mar, 2025 | 11:55 AM

अगर आप किसान हैं और अपनी खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो जूट की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है. इसे ‘सुनहरा रेशा’ भी कहा जाता है, क्योंकि इससे बने उत्पादों की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है.

जूट से रस्सी, बोरे, चटाई, थैले, कालीन और कई अन्य चीजें बनाई जाती हैं, जो इसकी खेती को बहुत फायदेमंद बनाती हैं. खास बात यह है कि इसकी खेती करना न केवल आसान है, बल्कि इसमें ज्यादा लागत भी नहीं आती. तो आइए जानते हैं जूट की खेती से जुड़ी हर एक बात.

मिट्टी और जलवायु

अगर आप जूट की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले मिट्टी और जलवायु को समझना जरूरी है. जूट के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिट्टी का pH स्तर 5.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए. यह फसल गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है, इसलिए मानसून के दौरान इसकी बुवाई सबसे सही रहती है. जिन इलाकों में पहले से नमी बनी रहती है, वहां इसे बिना सिंचाई के भी उगाया जा सकता है, जिससे पानी की बचत होती है.

जूट की खेती कैसे करें?

जूट की खेती के लिए सही समय पर बुवाई करना जरूरी होता है, आमतौर पर इसे मार्च से मई के बीच बोया जाता है. बीज को 3-4 सेमी की गहराई में बोना चाहिए, ताकि अंकुरण सही तरीके से हो. पौधों के बेहतर विकास के लिए कतारों के बीच 20-25 सेमी और पौधों के बीच 5-7 सेमी की दूरी रखना आवश्यक है. एक हेक्टेयर भूमि में 5-7 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.

सिंचाई की बात करें तो जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा होती है, वहां अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन सूखे इलाकों में 1-2 बार सिंचाई करनी पड़ सकती है. जूट की फसल 120-150 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है, और जब पौधों में फूल दिखने लगते हैं, तो कटाई कर लेनी चाहिए, ताकि बेहतर गुणवत्ता वाला रेशा प्राप्त हो सके. सही समय पर कटाई करने से प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है.

जूट की प्रमुख किस्में

जूट की दो प्रमुख किस्में होती हैं. सबसे पहले कोरा जूट, जो अधिक मात्रा में उगाया जाता है और इसका रेशा मजबूत होता है. दूसरी ओर, देशी जूट मुख्य रूप से स्थानीय क्षेत्रों में उगाया जाता है और यह छोटी जरूरतों के लिए होता है. दोनों ही किस्में किसानों को अच्छी आमदनी देने में मदद करती हैं और बाजार में इनकी मांग बनी रहती है.

जूट की मांग और उपयोग

आज के समय में जूट की मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह इको-फ्रेंडली है और प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है. इसका इस्तेमाल कई प्रकार की चीजों में किया जाता है, जैसे रस्सी, बोरे, चटाई, थैले, ग्रीन बैग, कालीन और सजावटी वस्तुएं. इसके अलावा, कागज उद्योग में भी जूट का महत्वपूर्ण योगदान होता है. बाजार में जूट से बनी चीजों की हमेशा मांग बनी रहती है, जिससे इसकी खेती किसानों के लिए और भी फायदेमंद साबित होती है.

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