Poultry Farming: तमिलनाडु की ब्रॉयलर कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इन कंपनियों के लिए ठेके पर मुर्गियां पालने वाले किसानों ने कम मेहनताना मिलने के विरोध में 1 जनवरी से हड़ताल का फैसला किया है. अगर यह हड़ताल हुई, तो नए साल में चिकन के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक, तमिलनाडु में करीब 95 फीसदी ब्रॉयलर पालन किसान करते हैं, जबकि कंपनियां सिर्फ 5 फीसदी उत्पादन खुद संभालती हैं. किसानों का कहना है कि पिछले पांच साल से उन्हें सिर्फ 6.5 रुपये प्रति किलो की दर मिल रही है, जिसे बढ़ाकर कम से कम 20 रुपये प्रति किलो किया जाना चाहिए.
यह फैसला रविवार को कोयंबटूर के अन्नूर में हुई बैठक में लिया गया. किसानों ने कहा कि अगर राज्य सरकार ब्रॉयलर कंपनियों, किसानों और पशुपालन विभाग के साथ त्रिपक्षीय बैठक बुलाकर समाधान नहीं निकालती, तो हड़ताल तय है. राज्य में हर हफ्ते 10 लाख से ज्यादा मुर्गियां (करीब 20 से 23 लाख किलो मांस) बाजार में आती हैं. तमिलनाडु में रोजाना लगभग 3 लाख किलो चिकन की जरूरत होती है, जो रविवार को 4 लाख किलो तक पहुंच जाती है. कंपनियां चूजों को अंडों से निकलने के बाद 12 घंटे से ज्यादा नहीं रोक सकतीं, जिससे हड़ताल का असर तुरंत दिख सकता है.
इसका असर ब्रॉयलर कंपनियों पर पड़ेगा
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके चलते अगर उत्पादन रुका, तो इसका तुरंत असर ब्रॉयलर कंपनियों पर पड़ेगा. वहीं उपभोक्ताओं पर इसका असर करीब एक हफ्ते बाद दिखाई देगा. सूत्रों के अनुसार, यदि 1 जनवरी से किसान हड़ताल पर जाते हैं, तो मौजूदा स्टॉक के सहारे जनवरी के तीसरे हफ्ते तक चिकन की जरूरत पूरी की जा सकती है. किसानों के मुताबिक, राज्यभर में 40,000 से ज्यादा पोल्ट्री यूनिट ब्रॉयलर पालन में लगी हैं. इनमें से 10,000 से अधिक यूनिट कोयंबटूर, तिरुप्पुर और इरोड जिलों में हैं. करीब 60 से ज्यादा ब्रॉयलर कंपनियां किसानों को छोटे चूजे देती हैं. चारा और दवाइयां कंपनियां देती हैं, जबकि पालन का काम किसान करते हैं.
मुर्गियां पालने के लिए शेड बनाना पड़ता है
किसानों को अपने खेत में मुर्गियां पालने के लिए शेड बनाना पड़ता है. बिजली और शेड में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का खर्च किसान खुद उठाते हैं. करीब 35 से 40 दिन बाद कंपनियां मुर्गियां वापस ले जाती हैं, उनका वजन करती हैं और फिर भुगतान करती हैं. वहीं, ब्रॉयलर चिकन रियरिंग फार्मर्स एसोसिएशन के राज्य समन्वयक एबीटीएम महालिंगम ने कहा कि कंपनियों ने किसानों को दी जाने वाली दर नहीं बढ़ाई, लेकिन बाजार में चिकन का दाम लगभग 200 रुपये प्रति किलो कर दिया है. हमने सितंबर में ही साफ कर दिया था कि मांगें नहीं मानी गईं, तो जनवरी से उत्पादन रोक देंगे. इसी के तहत हम किसानों के साथ बैठक कर रहे हैं और ब्रॉयलर कंपनियों से चूजे लेना बंद करने का फैसला किया है.