बारिश से 31889 हेक्टेयर में लगी फसल चौपट, किसान नहीं कर पा रहे बाजरा, मूंगफली की काटई

मई महीने में हुई बारिश से करीब 31,889 हेक्टेयर में लगी गर्मी की फसलें प्रभावित हुई हैं. अमरावती जिले में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां 12,295 हेक्टेयर में फसलें प्रभावित हुई हैं.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 25 May, 2025 | 09:07 AM

महाराष्ट्र में लगातार हो रही प्री-मॉनसून बारिश से करीब 31,889 हेक्टेयर में लगी गर्मी की फसलें प्रभावित हुई हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पुणे समेत कई जिलों में किसान अपनी गर्मी की फसल नहीं काट पाए हैं, क्योंकि बारिश लगातार जारी है. बाजरा, मूंगफली, प्याज, फल बागान और दूसरी फसलें समय पर कटाई न हो पाने की वजह से खराब हालत में हैं. खास कर मौसम की वजह से इन फसलों को नुकसान पहुंच रहा है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खेड़ तहसील के किसान दादाभाऊ शिंदे ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से बारिश रुकने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब मुझे अपनी बाजरा और मूंगफली की फसलों की चिंता हो रही है, जो कटाई के आखिरी चरण में हैं. जबकि, शिरूर तहसील के किसान आकाश काले ने कहा कि किसानों को इन फसलों की कटाई के लिए कम से कम कुछ दिन सूखा मौसम चाहिए होता है.

करीब 31,889 हेक्टेयर में फसल बर्बाद

राज्य कृषि विभाग के शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मई महीने में हुई बारिश से करीब 31,889 हेक्टेयर में लगी गर्मी की फसलें प्रभावित हुई हैं. अमरावती जिले में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां 12,295 हेक्टेयर में फसलें प्रभावित हुई हैं. इसके बाद जलगांव में 4,538 हेक्टेयर और नासिक में 3,141 हेक्टेयर में नुकसान दर्ज किया गया है. राज्य के कृषि आयुक्त सूरज मंधारे ने कहा कि गर्मी की फसलों की कटाई पर संकट मंडरा रहा है, जो हमारे लिए चिंता का विषय है. हम तहसील स्तर पर फसलों का विस्तृत आकलन कर रहे हैं.

खरीफ फसल भी बुरी तरह प्रभावित

अधिकारियों ने यह भी कहा कि लगातार होती बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में खरीफ सीजन की तैयारियों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. पश्चिम महाराष्ट्र, कोकण, मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में किसान अपने खेतों में खरीफ पूर्व जरूरी काम नहीं कर पाए. नाशिक के कृषि कार्यकर्ता सचिन होलकर ने कहा कि जब हम खेत की जुताई करते हैं, तो उसे कुछ हफ्तों तक खुला छोड़ना पड़ता है. कई बार जमीन को समतल भी करना पड़ता है, ताकि नमी और मिट्टी की बनावट सही बनी रहे. लेकिन इस बारिश ने पूरे राज्य में यह चक्र बिगाड़ दिया है.

इन फसलों के लिए फायदेमंद है बारिश

कृषि आयुक्त ने यह भी कहा कि प्री-मॉनसून की बारिश राज्य में खरीफ बुवाई के लिए बहुत अहम होती है. हमारे आकलन के मुताबिक, यह बारिश समग्र बुवाई के लिए कुछ हद तक फायदेमंद भी साबित हो सकती है. हालांकि कुछ अधिकारियों ने चिंता जताई है कि खेतों की तैयारी में हुई देरी खरीफ बुवाई को प्रभावित कर सकती है. अधिकारियों ने कहा कि आगामी कुछ दिन खरीफ बुवाई के लिए बहुत अहम हैं. अगर बुवाई में देर होती है, तो इसका सीधा असर फसल की बढ़त पर पड़ेगा.

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Published: 25 May, 2025 | 09:04 AM

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