मूंग की फसल पर बारिश का हमला, कर्नाटक में बर्बादी.. राजस्थान के किसान परेशान

देश में सबसे ज्यादा मूंग राजस्थान में पैदा होती है. यहां की फसल इस समय फूल और फलियों के चरण में है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यहां भी लगातार बारिश हुई तो फसल पीली पड़ सकती है और उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Sep, 2025 | 11:51 AM

भारत में मूंग की दाल को “हरा सोना” कहा जाता है, क्योंकि यह किसानों की आमदनी का बड़ा सहारा और आम लोगों की थाली का जरूरी हिस्सा है. लेकिन इस बार बारिश ने इस “हरे सोना” की चमक फीकी कर दी है. अगस्त महीने में कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुई मूसलाधार बारिश ने मूंग की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है. कटाई के लिए तैयार खड़ी फसल पानी में डूब गई या सड़ गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब चिंता यह है कि अगर बारिश का यही दौर जारी रहा तो राजस्थान जैसी प्रमुख उत्पादक राज्य की फसल भी खतरे में पड़ सकती है.

कर्नाटक के खेतों में बर्बादी का मंजर

businessline की खबर के अनुसार, कर्नाटक के गडग, धारवाड़, बागलकोट, यादगीर और कलबुर्गी जैसे जिलों में मूंग की कटाई के ठीक समय तेज बारिश हुई. किसानों का कहना है कि खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह भीग गई और खराब हो गई. कई जगहों पर किसान फसल काट भी नहीं पाए और पौधे खेत में ही सड़ने लगे.

गडग मंडी के आंकड़े बताते हैं कि मूंग का औसत भाव केवल 5,177 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा, जबकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 8,682 रुपये तय किया है. यानी किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

खराब क्वालिटी की मूंग से बाजार भी परेशान

बारिश के कारण मूंग की क्वालिटी भी बिगड़ गई है. व्यापारी बताते हैं कि दाल में नमी की मात्रा बहुत ज्यादा है और दाने कमजोर हो गए हैं. बागलकोट के व्यापारी बसवराज अठानी का कहना है कि “अच्छी क्वालिटी की मूंग मंडियों में लगभग नदारद है.” इसका असर सीधा उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है, क्योंकि सप्लाई कमजोर होगी और कीमतों में अस्थिरता बढ़ सकती है.

राजस्थान पर मंडराया खतरा

देश में सबसे ज्यादा मूंग राजस्थान में पैदा होती है. यहां की फसल इस समय फूल और फलियों के चरण में है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यहां भी लगातार बारिश हुई तो फसल पीली पड़ सकती है और उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा. इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा कि असली तस्वीर सितंबर के आखिर तक सामने आएगी, जब राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की स्थिति साफ होगी.

रकबा बढ़ा, पैदावार घटने का डर

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल मूंग की खेती का रकबा बढ़कर 34.11 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल यह 33.96 लाख हेक्टेयर था. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि रकबा बढ़ने के बावजूद पैदावार ज्यादा नहीं होगी, क्योंकि लगातार बारिश ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है.

पिछले साल खरीफ 2024 सीजन में मूंग का उत्पादन 17.47 लाख टन रहा था, जबकि 2024-25 में यह 38.19 लाख टन तक पहुंचा था. लेकिन मौजूदा हालात से संकेत मिल रहे हैं कि इस बार उत्पादन में गिरावट तय है.

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