Kharif Sowing: इस साल भारत में खरीफ बुवाई किसानों के लिए राहत और उम्मीद लेकर आई है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 3 अक्टूबर 2025 तक खरीफ फसलों का कुल रकबा 1,121.46 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. पिछले साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1,114.95 लाख हेक्टेयर था. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बढ़ोतरी के पीछे बेहतर मानसून और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में की गई बढ़ोतरी मुख्य कारण हैं, जिसने किसानों को बुवाई के लिए प्रेरित किया.
मोटे अनाजों में खास बढ़ोतरी
इस साल मोटे अनाजों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी की खेती में विशेष बढ़ोतरी हुई है. कुल रकबा 183.54 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 194.67 लाख हेक्टेयर हो गया है. इसमें सबसे बड़ी बढ़ोतरी मक्का की बुवाई में देखी गई. पिछले साल मक्का का रकबा 84.30 लाख हेक्टेयर था, जबकि इस साल यह 94.95 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, यानी 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. मोटे अनाजों की यह बढ़ोतरी न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाएगी, बल्कि देश के पोषण स्तर और खाद्य सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है.
दलहन और धान की बुवाई में सुधार
दलहन फसलों का रकबा भी इस सीजन में 120.4 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. उड़द (काली दाल) की बुवाई में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो अब 24.37 लाख हेक्टेयर तक है. वहीं धान की बुवाई में भी सुधार देखा गया है. इस साल धान का कुल रकबा 441.58 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के 435.68 लाख हेक्टेयर से 5.91 लाख हेक्टेयर अधिक है.
गन्ना में स्थिर वृद्धि
गन्ने की बुवाई में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिला. इस बार गन्ने का रकबा 59.07 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल से 1.86 लाख हेक्टेयर अधिक है. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर बुवाई और बेहतर मानसून ने कृषि क्षेत्र को समग्र रूप से मजबूती दी है.
MSP में वृद्धि से किसानों को लाभ
इस साल सरकार ने 14 खरीफ फसलों के लिए MSP बढ़ाया. इससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिली. सबसे अधिक बढ़ोतरी नाइजर सीड (Rs 820 प्रति क्विंटल), रागी (Rs 596), कपास (Rs 589) और तिल (Rs 579) में हुई.
कृषि क्षेत्र में सकारात्मक संकेत
कुल मिलाकर, इस साल की खरीफ बुवाई ने यह साबित किया कि भारत का कृषि क्षेत्र बेहतर मानसून, समय पर सरकारी नीतियों और MSP सुधारों से मजबूत हो रहा है. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण में मदद मिलेगी.
इस प्रकार, खरीफ 2025 न केवल किसानों के लिए लाभकारी रहा, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र को स्थिर और समृद्ध बनाने में भी सहायक साबित हुआ है.