सीकर का ‘मीठे प्‍याज वाला गांव’ 200 करोड़ रुपये तक बिकती है उपज

सीकर के रसीदपुर की यह प्याज इतनी पसंद की जाती है कि कई राज्यों में इसका बोलबाला है. इस प्याज की मिठास इसका सबसे बड़ा आकर्षण है. यही वजह है कि राजस्थान का सीकर जिला मीठे प्याज के लिए मशहूर है.

Kisan India
Published: 24 Feb, 2025 | 05:33 PM

राजस्‍थान जहां चारों तरफ रेत ही रेत है और पानी की कमी है, वहां का एक गांव मीठे प्‍याज की खेती करके दुनिया में मशहूर हो रहा है. राजस्‍थान के सीकर में आने वाले गांव रसीदपुरा में मीठे प्‍याज की खेती करने वाले परिवार रहते हैं. अब यह प्‍याज न केवल राजस्‍थान बल्कि पंजाब, हरियाणा और दिल्‍ली के लोगों के बीच भी जगह बना चुका है. इस प्‍याज की खेती ने दुनियाभर में लोगों को हैरान कर दिया है और अब यह एक मिसाल बन चुका है.

कई पीढ़‍ियां लगी खेती में

प्याज को एक ऐसी फसल माना जाता है जिसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है. इसके अलावा यह पूरे साल डिमांड में रहता है. यूं तो प्‍याज की खेती महाराष्‍ट्र समेत देश के कुछ राज्‍यों में की जाती है लेकिन सीकर का रसीदपुरा गांव या ‘प्याज वाला गांव’ को एक अलग ही मुकाम मिला हुआ है. इस गांव में सालों से प्‍याज की खेती हो रही है और करीब 400 परिवार इसकी खेती में लगे हुए हैं. इन परिवारों की कई पीढ़‍ियां प्‍याज की खेती करती थीं. रसीदपुर, सीकर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर में स्थित है.

कई राज्‍यों में बोलबाला

रसीदपुर की यह प्याज इतनी पसंद की जाती है कि कई राज्यों में इसका बोलबाला है. इस प्याज की मिठास इसका सबसे बड़ा आकर्षण है. यही वजह है कि राजस्थान का सीकर जिला मीठे प्याज के लिए मशहूर है. इस प्‍याज की डिमांड राजस्थान के अलावा दिल्ली जैसी बड़ी मंडियों में भी खूब रहती है. रसीदपुरा में इस प्‍याज की इतनी खेती होती है कि राज्‍य की 40 फीसदी मांग अकेले इस गांव से पूरी हो जाती है. राजस्थान के अलावा इस प्‍याज की सप्‍लाई दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और हिमाचल प्रदेश में भी यहां के प्याज मशहूर है.

बाजार से नहीं खरीदते बीज

यहां के किसान इसी प्‍याज से इसके बीज तैयार करते हैं और बाजार से नहीं खरीदते हैं. इस वजह से इसकी पैदावार भी बहुत ज्‍यादा होती है.गांव के करीब 80 फीसदी क्षेत्र में प्याज की खेती होती है. यहां के किसान प्याज की खेती से सालभर में 200 करोड़ रुपए की कमाई कर लेते हैं. राजस्थान के मीठे प्याज कांसे जैसे लाल रंग, मोटे आकार और तीखे स्वाद के लिए जाने जाते हैं.

सीकर जिला प्याज के उत्पादन और उत्पादकता में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. साल 1981 से लेकर 2010 तक यहां पर 6.71, 8.11 और 1.32 प्रतिशत प्रति साल की दर से उपज में इजाफा हुआ है. इस अवधि में प्याज का उत्पादन क्षेत्र और उत्पादकता दोनों में वृद्धि के कारण बढ़ा है, लेकिन इसमें सबसे ज्‍यादा योगदान सीकर का रहा है.

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