कहते हैं कि अगर कोई महिला ठान लें तो वो हर परेशानी को पीछे छोड़कर समाज में खुद की पहचान बना सकती हैं. ऐसा ही कुछ किया छत्तीसगढ़ की महिला किसान सुनीता जगत ने जिन्होंने अपने परिवार और सरकार के सहयोग से खुद के लिए आजीविका का अवसर तलाशा और आज खेती से अच्छी कमाई कर खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत भी बनाया. बता दें कि, देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार लगातार कोशिशे करती रहती हैं. महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए उन्हें कई तरह की सब्सिडी, ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता दी जाती है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार की बिहान योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम हो रहा है. इसी योजना की मदद से सुनीता ने भी अपने जीवन में बदलाव किया है.
सरकार की मदद से शुरू किया डेयरी उत्पादन
छत्तीगढ़ के सक्ति जिले के ग्राम पंचायत-भूरसीडीह में रहने वाली सुनीता जगत बताती हैं कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की मदद से उन्होंने डेयरी व्यापार की शुरुआत की. सुनीता ने बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना की मदद से उन्हें सरकार की तरफ से 15 हजार रुपये का रिवॉल्विंग फंड और 1.5 लाख रुपये का सामुदायिक निवेश निधि मिला. उन्होंने बताया इसके अलावा भी बैंक लिंकेज के माध्यम से उन्हें 2 लाख का अतिरिक्त लोन मिला. सुनीता ने सरकारी योजना का लाभ उठाकर इलाके की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है.
स्वयं समूह सहायता का संगठन
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार, सुनीता जगत ने सरकार के सहयोग से स्वयं सहायता समूह का संगठन किया, जिसको उन्होंने रानी दुर्गावती स्व-सहायता समूह का नाम दिया. सुनीता द्वारा बनाए गए इस समूह से जुड़कर 6 लोगों ने व्यवसाय की शुरुआत की जो आज के समय में गांव और आसपास के इलाकों में दूध सप्लाई करते हैं. सुनीता ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो अपने घर की चार-दीवारी से बाहर निकलकर अपनी खुद की पहचान बनाएंगी. सुनीता ने बताया कि उनके इस सफर में उनके परिवार और उनके पति ने उन्हें सहयोग दिया. बता दें कि सुनीता के स्वयं सहायता समूह ने पिछले साल 3 लाख रुपये की आय की थी, जिसके कारण समूह से जुड़ी महिलाएं आत्थिक रूप से सशक्त हो सकी हैं.
अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा
सुनीता जगत द्वारा की गई पहल और उन्हें मिली सफलता के बाद वे अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं. सुनीता के सशक्तीकरण की ये कहानी न केवल बदलाव का प्रतीक है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा है. सुनीता बताती हैं कि उनका उद्देशय गांव की महिलाओं को सरकारी योजनाओं के माध्यम से केवल रोजगार स्वरोजगार उपलब्ध कराना ही नहीं है बल्कि जिला स्तर पर इन महिलाओं को बुनियादी ट्रेनिंग देना भी है.