सरसों में तेल कम आ रहा है? सही समय पर ये पोषक तत्व डालेंगे तो दाम और पैदावार दोनों बढ़ेंगे
सरसों की खेती में अच्छी पैदावार के बाद भी कई किसानों को तेल कम मिलने से नुकसान उठाना पड़ता है. इसका कारण पोषक तत्वों की कमी और गलत समय पर खाद का इस्तेमाल है. अगर किसान सही समय पर NPK के साथ जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट दें, तो दानों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा दोनों में सुधार हो सकता है.
Mustard Farming: सरसों की खेती सिर्फ दानों के लिए नहीं, बल्कि उसमें निकलने वाले तेल की वजह से किसानों की आमदनी का बड़ा सहारा मानी जाती है. गांव से लेकर शहर तक हर रसोई में सरसों के तेल की जरूरत होती है. ऐसे में अगर फसल से तेल कम निकले, तो मेहनत के बाद भी किसान को पूरा दाम नहीं मिल पाता. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सिर्फ ज्यादा खाद डालना काफी नहीं, बल्कि पोषक तत्व सही समय पर देना सबसे जरूरी होता है.
सरसों में तेल की मात्रा क्यों होती है कम
कई बार सरसों की फसल देखने में हरी-भरी और अच्छी लगती है, लेकिन जब कटाई के बाद तेल निकाला जाता है, तो मात्रा उम्मीद से कम होती है. इसकी सबसे बड़ी वजह खेत में जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी मानी जाती है. अगर मिट्टी में जिंक, बोरॉन, सल्फर, पोटाश या कॉपर की कमी हो, तो दाने तो बन जाते हैं, लेकिन उनमें तेल भरपूर नहीं बन पाता. यही कारण है कि किसान को बाजार में कम दाम मिलते हैं.
फूल आने के समय क्यों जरूरी है सावधानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरसों में फूल आने का समय सबसे नाजुक होता है. इस दौरान अगर किसी भी तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट का छिड़काव कर दिया जाए, तो फूल टूटकर गिरने लगते हैं. इससे फलियां कम बनती हैं और सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. इसलिए फूल आने के समय किसी भी खाद या दवा का छिड़काव करने से बचना चाहिए. अगर बहुत जरूरी हो, तो छिड़काव हमेशा दोपहर बाद या शाम के समय ही करें.
NPK के साथ ये पोषक तत्व दें, मिलेगा दोहरा फायदा
सरसों की फसल में तेल और उत्पादन दोनों बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है बेसल डोज पर ध्यान देना. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बुवाई के समय या शुरुआती अवस्था में NPK के साथ सुपर फास्फेट, पोटाश, सल्फर, जिंक, बोरॉन और कॉपर का संतुलित इस्तेमाल करना चाहिए. इससे पौधा मजबूत बनता है, जड़ें अच्छी विकसित होती हैं और आगे चलकर फूल और फल भी दमदार बनते हैं. इसका सीधा असर दानों के साइज, चमक और तेल की मात्रा पर पड़ता है.
फलियां बनने के बाद कैसे बढ़ेगा तेल और चमक
जब सरसों की फसल में करीब 70 प्रतिशत फलियां बन जाएं, तब पोटाश और सल्फर का हल्का छिड़काव काफी फायदेमंद माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस समय दिए गए पोषक तत्वों से दानों का आकार बढ़ता है, उनकी चमक आती है और तेल की मात्रा में भी सुधार होता है. इससे किसान को उत्पादन के साथ-साथ बेहतर दाम भी मिलते हैं.