मौसम बदलते ही आलू पर हमला करता है झुलसा रोग, कृषि विभाग ने बताए बचाव के आसान तरीके
Aaloo Ki Kheti : आलू की फसल में झुलसा रोग किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन रहा है. यह रोग तेजी से फैलकर पूरी खेती को नुकसान पहुंचा सकता है. बिहार सरकार के कृषि विभाग ने इसकी पहचान, बचाव और सही दवाओं की जानकारी दी है, ताकि किसान समय रहते सावधानी बरतकर फसल को सुरक्षित रख सकें.
Potato Farming : आलू बिहार की एक प्रमुख फसल है और हजारों किसानों की आमदनी का बड़ा सहारा भी. लेकिन मौसम बदलते ही आलू की फसल पर कई तरह के रोग हमला कर देते हैं. इनमें सबसे खतरनाक है झुलसा रोग, जो अगर समय पर न रोका जाए तो पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है. बिहार सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को इस रोग की पहचान और सही प्रबंधन को लेकर जरूरी जानकारी दी है, ताकि किसान नुकसान से बच सकें और अच्छी पैदावार ले सकें.
झुलसा रोग क्या है और क्यों है खतरनाक?
बिहार कृषि विभाग के अनुसार झुलसा रोग एक फफूंद से फैलने वाला रोग है. यह रोग बहुत तेजी से फैलता है, इसी वजह से इसे चक्रवृद्धि ब्याज रोग भी कहा जाता है. शुरुआत में अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो कुछ ही दिनों में पूरी फसल इसकी चपेट में आ जाती है. यह रोग खासतौर पर ठंड और नमी वाले मौसम में ज्यादा फैलता है, इसलिए आलू की फसल में इसका खतरा हमेशा बना रहता है.
झुलसा रोग के दो प्रकार, ऐसे करें पहचान
आलू में झुलसा रोग मुख्य रूप से दो तरह का होता है-
पिछात झुलसा (Late Blight):- इस रोग में पत्तियां किनारों और सिरों से सूखने लगती हैं. सूखी पत्तियों को हाथ से रगड़ने पर खर-खर की आवाज आती है. यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और थोड़े समय में खेत को नुकसान पहुंचा सकता है.
अगात झुलसा (Early Blight):- इसमें पत्तियों पर भूरे रंग के गोल-गोल धब्बे दिखाई देते हैं, जो रिंग की तरह होते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़ते हैं और पत्तियां झुलसकर सूख जाती हैं.
झुलसा रोग से बचाव के आसान उपाय
बिहार सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, झुलसा रोग से बचाव के लिए सबसे जरूरी है सावधानी. खेत को हमेशा साफ-सुथरा रखें. केवल स्वस्थ और रोगमुक्त बीज का ही इस्तेमाल करें. अगर मौसम में नमी ज्यादा हो और रोग की आशंका लगे, तो 15 दिन के अंतराल पर मैनकोजेब 75 फीसदी WP दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. यह छिड़काव फसल को शुरुआती स्तर पर रोग से बचाने में मदद करता है.
रोग दिखने पर कौन सी दवा करें इस्तेमाल?
अगर खेत में झुलसा रोग दिखने लगे, तो तुरंत दवा का प्रयोग जरूरी है. कृषि विभाग के अनुसार किसान इनमें से किसी एक फफूंदनाशी का उपयोग कर सकते हैं-
- मैनकोजेब 75 फीसदी WP 2 ग्राम प्रति लीटर
- कार्बेन्डाजिम 12 फीसदी + मैनकोजेब 63 फीसदी WP 2 ग्राम प्रति लीटर
- जिनेब 75 फीसदी WP 2 ग्राम प्रति लीटर
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 फीसदी WP 2 ग्राम प्रति लीटर
खासकर पिछात झुलसा के नियंत्रण के लिए मेटालैक्सिल-M 4 फीसदी + मैनकोजेब 64 फीसदी WP दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना बेहद असरदार माना गया है.