Potato Farming: नवंबर का महीना अब समाप्ती की ओर है. इसके साथ ही ठंड ने अपना प्रचंंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. कई राज्यों में शीतलहर और कोहर का भी प्रकोप दिखने लगा है. इससे फसलों को नुकसान पहुंचने की संभावना है. ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है. खास कर आलू की फसल के लिए ये ठंड कुछ ज्यादा ही नुकसानदेह है. इसलिए किसानों को सर्दी, कोहरे और शीतलहर से बचाने के लिए किसानों को खास उपाय करनी चाहिए. इसके लिए किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे. बस थोड़ी से सावधानी बरतने की जरूरत है.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, सर्दियों में आलू की फसल को कोहरे और पाले से सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है. खास कर सर्दी के मौसम में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है. इससे पैदावार में गिरावट आती है. ऐसे में किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे देश में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन ठंड के कारण रोग का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में कुछ घरेलू उपाय और सामग्री इस्तेमाल करके फसल को कोहरे और पाले से बचाया जा सकता है और पैदावार भी अच्छी बनी रहती है.
इस तरह करें देसी घोल का इस्तेमाल
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे ही तापमान गिरता है, आलू की फसल पर पाले के कारण दाग और धब्बे दिखने लगते हैं, जो कई रंगों के हो सकते हैं. समय रहते उपाय न किए जाएं तो फसल को बड़ा नुकसान हो सकता है. इसके लिए मैकेनोलिप दवा का 50 फीसदी घोल (2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर) छिड़काव किया जा सकता है, जिससे फसल सुरक्षित रहती है. साथ ही, लकड़ी या गोबर के उपले की राख छिड़कने से आलू को हल्की गर्मी मिलती है और पाले का असर कम होता है. क्योंकि राख से रोग भी नहीं लगते और पैदावार बढ़ जाती है.
छाछ का घोल भी आलू के लिए है वरदान
दरअसल, आलू की फसल में राख बहुत फायदेमंद साबित होती है. अक्सर लोग इसे फेंक देते हैं, लेकिन इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए 12 से 13 किलो लकड़ी या गोबर के उपले की राख फसल पर छिड़क दें. इससे पत्तियों पर परत बनती है और फसल कोहरे-पाले से बचती है. इसके अलावा, आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए छाछ का घोल भी उपयोगी है. एक लीटर खट्टा छाछ में 5 से 7 लीटर पानी मिलाकर पौधों में छिड़कने से पाले का असर कम होता है. सर्दियों में रात के समय पाला पड़ता है और मिट्टी का तापमान गिर जाता है. ऐसी स्थिति में शाम को हल्की सिंचाई करने से मिट्टी में मौजूद पानी भाप बनाकर पौधों के आसपास की ठंड कम कर देता है. सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि पानी उतना ही दें कि पौधों के पास नमी बनी रहे.