बाढ़ और वायरस से धान किसानों को भारी नुकसान, 15 फीसदी तक कम हो गई पैदावार
इस सीजन में धान की पैदावार घटने के बावजूद खेती की जमीन 1.5 लाख हेक्टेयर बढ़कर 32.49 लाख हेक्टेयर हो गई. अगस्त-सितंबर में व्यापक बाढ़ ने 2.97 लाख एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया. लगातार बारिश और इसके बाद फॉल्स स्मट बीमारी ने स्थिति और बिगाड़ दी.
Punjab News: हालिया बाढ़ और फॉल्स स्मट बीमारी की वजह से पंजाब में धान की पैदावार पिछले एक दशक में सबसे कम दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि इस साल पिछले साल के मुकाबले करीब 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. ऐसे इस साल औसत पैदावार 5,722 किलो प्रति हेक्टेयर होने की उम्मीद जताई गई थी. जबकि साल 2024- 25 में औसत पैदावार 6,670 किलो और 2023- 24 में 6,740 किलो प्रति हेक्टेयर थी. ऐसे में किसानों का कहना है कि पैदावार में गिरावट आने से उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है.
राज्य कृषि विभाग की अस्थायी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस बार 15 फीसदी तक धान की पैदावार में गिरावट आई है. अधिकारियों का कहना है कि सीजन की अंतिम पैदावार का आंकड़ा फसल काटने की पूरी प्रक्रिया के बाद तय किया जाएगा. पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल की अनुमानित पैदावार 2015- 16 (5,933 किलो/हेक्टेयर) के बाद सबसे कम है.
कब कितनी हुई खरीदी
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल धान की खरीदी भी पिछले नौ वर्षों में सबसे कम रही, केवल 156 लाख टन धान खरीदा गया, जो अनुमानित 180 लाख टन से लगभग 25 लाख टन कम है. यह 2016 के बाद सबसे कम पैदावार है, जब खरीदी 140 लाख टन तक सीमित थी. अगर पिछले पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 175 लाख टन 2024 में, 188 लाख टन 2023 में, 183 लाख टन 2022 में, 187 लाख टन 2021 में, और 162 लाख टन 2020 में धान की खरीदी हुई. यानी इस साल पिछले पांच साल के मुकाबले काफी कम खरीदी हुई है.
1.5 लाख हेक्टेयर बढ़ा धान का रकबा
इस सीजन में धान की पैदावार घटने के बावजूद खेती की जमीन 1.5 लाख हेक्टेयर बढ़कर 32.49 लाख हेक्टेयर हो गई. अगस्त-सितंबर में व्यापक बाढ़ ने 2.97 लाख एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया. लगातार बारिश और इसके बाद फॉल्स स्मट बीमारी ने स्थिति और बिगाड़ दी. जुलाई में धान सीजन की शुरुआत में अच्छी मॉनसूनी बारिश के कारण खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने 185 लाख टन धान की खरीदी और 45,000 करोड़ रुपये का नकद क्रेडिट लिमिट तैयार किया था. लेकिन फसल के नुकसान के बाद खरीदी के लक्ष्य घटा दिए गए.
इस वायरस से फसल को हुआ नुकसान
धान पकने से पहले फॉल्स स्मट और साउथ राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) ने फसल को प्रभावित किया. बाढ़ प्रभावित जिलों के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और कई ने पूरी फसल खो दी. SRBSDV, जिसे फीजी वायरस भी कहते हैं, 2022 के बाद फिर उभरा. कृषि विभाग ने दावा किया कि वायरस नियंत्रण में है, लेकिन किसानों ने कई बार छिड़काव के बावजूद आर्थिक नुकसान की शिकायत की. 2022 में यह वायरस कम से कम छह जिलों, जैसे मोहाली और पठानकोट, में फैल गया था, जिसमें PR-121 धान किस्म सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी, जिसे किसान जून 20 से पहले बोते थे, जबकि आधिकारिक सिफारिश बाद में बोने की थी.