नाइट्रोजन की कमी से पीली पड़ रही धान, कृषि विभाग ने बताया बचाव का आसान तरीका
धान की फसल में पत्तियों को पीला होने से रोकने के लिए किसान कई तरीके अपना सकते हैं. फसल में कल्ले निकलते समय नाइट्रोजन का चॉप ड्रेसिंग जरूर करें.
मॉनसून सीजन में जिन किसानों ने धान की रोपाई की थी उनके पौधों के बढ़ने के लिए ये बेहद ही महत्वपूर्ण समय है. ऐसे में किसानों के लिए बहुत जरूरी है कि वे धान की फसल की सही से देखभाल करें. बारिश के दिनों में अकसर धान की फसल में पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. इसके कारण न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी भारी नुसकान उठाना पड़ता है. पत्तियों के पीले पड़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जिनमें नाइट्रोजन और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी भी शामिल हैं. इसके अलावा कई बार रोगों और कीटों के कारण भी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने धान की फसल को बचाने के लिए बचाव के तरीके बताएं हैं जिनकी मदद से किसान पत्तियों को पीलेपन से बचा सकते हैं.
पोषक तत्वों की कमी
धान की फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए जरूरी है कि फसल को सही और पर्याप्त मात्रा में पोषण दिए जाएं. लेकिन कई बार सही से देखभाल न होने के कारण फसल को सही से पोषण नहीं मिल पाता है , जिस कारण फसल को नुकसान पहुंचता है. बता दें कि, अगर धान की फसल में नाइट्रोजन, जिंक के साथ-साथ मिट्टी में आयरन और सल्फर जैसे पोषक तत्वों की कमा हो जाती है तो फसल में पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और आगे चलकर ये पत्तियां मुरझाकर गिर जाती हैं. कई बार तो फसल जड़ से नष्ट हो जाती है.
खेत में जलभराव न होने दें
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, किसानों को इस बात का खास ध्यान रखान होगा कि धान की फसल में बहुत ज्यादा समय तक जलभराव न रहे. ज्यादा समय तक पानी रहने की स्थिति में जड़ें सड़ने लगती हैं और फसल सड़ जाती है. इसके अलावा फसल में खरपतवारों के प्रकोप और दीमक, तना छेदक, झुलसा रोग आदि के आक्रमण से भी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते फसल की सुरक्षा के इंतजाम कर सें ताकि खुद को नुकसान से बचा सकें.
बचाव के लिए करें ये उपाय
कृषि विभाग द्वारा बताए गए बचाव के तरीकों के अनुसार, धान की फसल में पत्तियों को पीला होने से रोकने के लिए किसान कई तरीके अपना सकते हैं. फसल में कल्ले निकलते समय नाइट्रोजन का चॉप ड्रेसिंग जरूर करें. साथ ही खेत में जिंक का भी छिड़काव करें. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि पानी न जमा हो सके और समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि फसल पर खरपतवारों, कीटों और रोगों का आक्रमण न हो सके.