बारिश में रात में एक्टिव होता है ये खतरनाक कीट, बैंगन के तनों को कमजोर कर बर्बाद करता है फसल

अगर कीट का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ गया है और जैविक तरीकों से कीट नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं तो किसान बैंगन की फसल पर केमिकल दवाओं का इस्तेमाल करें.

नोएडा | Updated On: 22 Aug, 2025 | 06:39 PM

आज के समय में किसान खेती के लिए ऐसी किस्मों का चुनाव करते हैं जिनसे उन्हें बेहतक उत्पादन मिले और बाजार में उसकी कीमत भी अच्छी मिले ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके. बैंगन की फसल उनमें से एक है. बैंगन की कई तरह की उन्नत क्वालिटी की किस्में और उनके स्वादिष्ट स्वाद के कारण बाजार में सालभर उपभोक्ताओं के बीज इसकी मांग बनी रहती है. यही कारण है कि किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं और उन्हें मुनाफा भी होता है.

लेकिन कई बार बारिश के दिनों में सही से देखभाल न होने के कारण या छोटी सी लापरवाही से भी बैंगन की फसल में कीटों का हमला हो जाता है. जो न केवल फसल को बर्बाद करते हैं बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इनमें से एक प्रमुख कीट है तना छेदक (Stem Borer) जो बारिश के दिनों में रात के समय सक्रिय होता है. ऐसे में किसानों के लिए जरूरी है कि वे इसके लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में सारी जानकारी जुटा लें.

तना छेदक कीट के प्रमुख लक्षण

तना छेदक कीट बैंगन की फसल के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है. इसका लार्वा फल और तने को छेदकर उनके अंदर चला जाता है, जिसके कारण फल सड़ने लगते हैं और पौधे मुरझाने लगते हैं. बारिश के दिनों में रात के समय ये कीट सबसे ज्यादा सक्रिय होता है. इस कीट के कुछ प्रमुखछ लक्षण हैं. जैसे इसके प्रभाव के कारण बैंगन के तनों में छेद होने लगता है और तना अंदर से खोखला होने लगता है. साथ ही फसलों पर छोटे छेद पड़ने लगते हैं और फल सड़ने लगता है. इसकी सबसे बड़ी पहचान ये भी है कि इसके प्रभाव से पौधे और शाखाएं मुरझा जाती हैं और आगे जाकर कमजोर होकर फसल नष्ट हो जाती है.

जैविक तरीकों से करें फसल का बचाव

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बैंगन की फसल पर तना छेदक के आक्रमण की स्थिति में सबसे पहले किसान पौधे से संक्रमित हिस्से को निकालकर अलग कर दें. साथ ही समय-समय पर फसल की निरगानी करते रहें, ताकि कीटों की शुरुआती लक्षणों के समय ही बचाव के उपाय किए जा सकें. तना छेदक कीट रात के समय में ज्यादा एक्टिव होते हैं , ऐसे में इनके रोकथाम के लिए किसान चाहें तो प्रति एकड़ फसल पर 12 से 15 फेरोमोन ट्रैप लगाएं. जैविक उपाय अपनाने के लिए किसानों को सलाह है कि फसल में परजीवी कीटों का इस्तेमाल करें, साथ ही 5 प्रतिशत नीम का तेल या नीम आधारित कीटनाशक Azadirachtin 1500 ppm को पानी में मिलाकर फसल पर उसका छिड़काव करें.

केमिकल दवाओं का इस्तेमाल

अगर कीट का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ गया है और जैविक तरीकों से कीट नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं तो किसान बैंगन की फसल पर केमिकल दवाओं का इस्तेमाल करें. कीटे के रोकथाम के लिए किसान 1 मिलीलीटर स्पिनोसाद 45 SC को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा 1 मिलीलीटर साइपरमेथरिन 10 EC को प्रति लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव भी कर सकते हैं. लेकिन किसानों को ध्यान रखान होगा कि केमकिल कीटनाशकों के इस्तेमाल से किसी कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

Published: 22 Aug, 2025 | 11:30 PM

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