चीनी उत्पादन में गिरावट, 26.4 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान, जानिए क्या होगा असर?

देश में चीनी मिलों का संचालन धीरे-धीरे बंद हो रहा है, अभी सिर्फ 28 मिलें ही सक्रिय हैं, जबकि देश में चीनी की 534 मिलें हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Apr, 2025 | 09:10 AM

इस साल चीनी मिलों में गन्ने की पेराई धीमी रही है, जिसका असर उत्पादन पर साफ देखा जा रहा है. इस सीजन में अब तक 25.59 मिलियन टन चीनी का उत्पादन हुआ है, और माना जा रहा है कि यह आंकड़ा 26.4 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा. हालांकि, यह नंबर पिछले साल के मुकाबले कम है, लेकिन इसी के साथ ये भी माना जा रहा है कि देश में घरेलू चीनी की आपूर्ति में किसी तरह की कमी नहीं होगी. इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, उत्पादन घटने के बावजूद स्टॉक पर्याप्त है और चीनी की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी.

चलिए जानते हैं कि उत्पादन में कमी क्यों आई, क्या देश की घरेलू जरूरतें पूरी हो पाएंगी, और अगले सीजन की उम्मीदें क्या हैं.

उत्पादन घटने की वजह क्या रही?

पिछले साल 29.9 मिलियन टन चीनी का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस बार महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में फसल की पैदावार में गिरावट आई है. इससे कुल उत्पादन घटा है. हालांकि, देश में चीनी मिलों का संचालन धीरे-धीरे बंद हो रहा है, अभी सिर्फ 28 मिलें ही सक्रिय हैं, जबकि देश में चीनी की 534 मिलें हैं.

घरेलू जरूरतें पूरी होंगी?

देश में हर साल करीब 27 मिलियन टन चीनी की खपत होती है. इस साल भी लगभग इतनी ही मांग रहने की उम्मीद है. ISMA के अनुसार सीजन के अंत तक हमारे पास 5.4 मिलियन टन का स्टॉक बचा रहेगा, जो अगले सीजन की शुरुआत के लिए काफी होगा.

अगला सीजन कैसा रहेगा?

खास बात यह है कि अगले साल यानी 2025-26 के लिए गन्ना रोपण में सुधार हुआ है, खासकर दक्षिण भारत के इलाकों में. इस बार किसानों ने गन्ना लगाने में दिलचस्पी दिखाई है. उत्तर भारत में भी नई गन्ना वैरायटी अपनाने से उत्पादन और रिकवरी में सुधार की उम्मीद है.

चीनी निर्यात का क्या हाल?

सरकार ने इस साल जनवरी में 1 मिलियन टन चीनी निर्यात की इजाजत दी थी. अब तक 0.4 मिलियन टन चीनी निर्यात हो चुकी है, और 0.3 मिलियन टन की शिपमेंट के लिए करार हो चुका है.

किसानों के लिए क्या संदेश?

हालांकि उत्पादन घटा है, लेकिन गन्ने की मांग बनी हुई है. किसानों को गन्ना वैरायटी पर ध्यान देने और जलवायु अनुकूल खेती की ओर बढ़ने की सलाह दी जा रही है ताकि अगली फसल बेहतर हो सके.

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