1 नहीं 9 तरह की होती है अरहर दाल- जानें सभी के नाम और किस्में

इरहार की ये किस्म मध्यम समय में पकने वाली है. इसके पौधे आकार में मध्यम और घने होते हैं. दाल के दाने भूरे-लाल रंग के होते हैं.

Kisan India
Noida | Published: 7 Mar, 2025 | 11:37 AM

दालों में सबसे ज्यादा अरहर की दाल को खाया जाता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी की अरहर की दाल की भी कई किस्में होती है. खासकर मध्य प्रदेश में खरीफ की दलहनी फसलों में अरहर काफी लोकप्रिय है. प्रदेश में अरहर की करीब 9 फसलें मौजूद हैं. तो चलिए जानते हैं कि ये 9 किस्में कौन कौन सी हैं.

1. किस्म आई.सी.पी.एल. -87 ( प्रगति )

अवधि- 125-135 दिन
इस किस्म के दाने हल्के लाल रंग के और मध्यम गोल आकार के होते हैं. यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है. इसकी फलियां मध्यम आकार की होती हैं, जिन पर मेहरून और लाल धारियां पाई जाती हैं. पौधे आकार में छोटे होते हैं और उकटा रोग के प्रति सहनशील होते हैं. यह किस्म यांत्रिक गहाई के लिए उपयुक्त है और फिलोडी, हेलो ब्लाइट, फाइलोस्टीका ब्लाइट तथा फोमा स्टेम केंकर जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है.

2. आई.सी.पी.एल. -151 (जागृति)

अवधि- 120-125 दिन
ये अरहर की एक जल्दी पकने वाली किस्म है. इसकी फली हरे रंग की होती हैं, जिन पर बेंगनी रंग की धारियां पाई जाती हैं. दाने गोल, बड़े और धूसर सफेद रंग के होते हैं, जो इसे आकर्षक बनाते हैं. यह किस्म रूट रॉट और नंपुसकता रोग के लिए प्रतिरोधक है, जिससे इसे उगाना अधिक सुरक्षित होता है. हालांकि, यह अधिक नमी वाली स्थितियों के लिए संवेदनशील होती है.

3.पूसा-33

अवधि- 135-140 दिन
यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है. इसके फल्ली का आकार मध्यम होता है और इनमें महरून तथा लाल धारियां पाई जाती हैं. दाने लाल रंग के होते हैं. यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है और अन्तरवर्तीय एवं द्विफसलीय खेती के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है.

4.नं. 148

अवधि- 160-180 दिन
इरहार की ये किस्म मध्यम समय में पकने वाली है. इसके पौधे आकार में मध्यम और घने होते हैं. दाल के दाने भूरे-लाल रंग के होते हैं. इसकी गुणवत्ता को प्रमाणित करते हैं. हालांकि, यह किस्म उकटा और बांझपन की बीमारी के लिए संवेदनशील मानी जाती है. इसलिए इस किस्म को अधिक देखभाल और संरक्षण की जरूरत पड़ती है.

5.जवाहर अरहर -4

अवधि- 175 दिन
इस किस्म के पौधे का आकार मध्यम और घना होता हैं. दाल के दाने भूरे-लाल रंग के होते हैं और आकार में मध्यम होते हैं. यह किस्म उकटा और फल्ली छेदक कीट के प्रति सहनशील है, जो इसे विभिन्न रोगों और कीटों से बचाने में मदद करती है. इसकी सहनशीलता के कारण ये किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है.

6.आई.सी.पी.एल. -87119 (आशा )

अवधि- 190-195 दिन
लाल दाने वाली ये किस्म उच्च गुणवत्ता के होते हैं. इसके पौधे सीधे, मध्यम लंबाई और घने होते हैं, जिससे उनकी मजबूती बढ़ती है. तना हरे रंग का होता है, जो स्वस्थ विकास को दर्शाता है. इसके अलावा, यह किस्म उकटा और बांझपन की बीमारी के प्रति सहनशील है, जिससे यह रोगों से सुरक्षित रहती है.

7.जवाहर खरगौन मीडियम-7 (जे.के.एम.-7)

अवधि- 190 दिन
इसके दाने गहरे भूरे-लाल रंग के और गोल होते हैं. यह किस्म उकटा रोग से कम प्रभावित होती है, जिससे इसकी उपज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा, यह किस्म अरहर फल्ली बग और फल्ली छेदक के लिए सहनशील है, जो इसे कीटों से बचाने में मदद करती है.

8.ग्वालियर-3

अवधि- 250-255 दिन
अरहर की यह किस्म देर से पकने वाली है. इसके दाने हल्के भूरे रंग और मध्यम आकार के होते हैं. साथ ही ये पौधे लम्बे आकार और झाड़ी जैसी संरचना में विकसित होते हैं. तना हरे-लाल रंग का होता है, जो पौधों की अच्छी स्थिति और मजबूत विकास को दिखाता है.

9.एम.ए.-3 मालवीय विकल्प

अवधि- 250 दिन

देर से पकने वाली इस किस्म के दाने लाल रंग और मध्यम आकार के होते हैं. यह किस्म उकटा रोग से आंशिक रूप से प्रतिरोधक होती है, जिससे इसके स्वास्थ्य को कुछ हद तक सुरक्षा मिलती है. इसके अलावा, यह किस्म फल्ली मक्खी के लिए सहनशील है

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