106°F बुखार और गले से आवाजें? तो समझ जाएं गलाघोंटू रोग की चपेट में है आपका पशु, ऐसे करें बचाव

मानसून के दौरान गाय-भैंसों में गला-घोंटू जैसी जानलेवा बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है. समय पर टीकाकरण और उचित देखभाल से इस रोग से बचाव संभव है. पशुपालकों को सतर्क रहकर साफ-सफाई और रोकथाम पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

नोएडा | Updated On: 3 Aug, 2025 | 06:04 PM

बरसात का मौसम सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, पशुओं के लिए भी चुनौतियों भरा होता है. इस मौसम में नमी और गंदगी के कारण जानवरों में गला-घोंटू जैसी संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है. यह बीमारी खासकर गाय और भैंसों को प्रभावित करती है, लेकिन भैंसों में इसका असर ज्यादा गंभीर देखा गया है.

समय पर टीकाकरण है सबसे बड़ा बचाव

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह रोग यदि समय पर पहचाना न जाए और इलाज में देरी हो जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान समय रहते अपने पशुओं का टीकाकरण करवाएं. इससे बीमारी की रोकथाम की जा सकती है और पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है. जागरूकता और सतर्कता ही मानसून में पशुपालकों के लिए सबसे बड़ा हथियार है.

गला‑घोंटू रोग क्या है और क्यों खतरनाक है?

यह एक संक्रामक जीवाणु आधारित रोग है जो जानवरों के गले को प्रभावित करता है. शुरुआत में गले से घर्र-घर्र की आवाज सुनाई देती है, इसलिए इसे मल्टी नाम से जाना जाता है. रोग कुछ ही दिनों में जानलेवा हो सकता है अगर समय पर इलाज न हो.

प्रमुख लक्षण: समय रहते पहचानें

गला‑घोंटू के लक्षण मानसून में खासतौर पर दिखाई देते हैं. किसान और पशु पालक निम्न बातों पर ध्यान दें-

फायदे का टीकाकरण और देखभाल कैसे करें?

किसान और पशुधन विभाग के बीच तालमेल जरूरी

Published: 3 Aug, 2025 | 08:20 PM

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