पशुपालन से होगी बड़ी कमाई, केंद्र सरकार दे रही है उद्योग लगाने का मौका और भारी अनुदान
पशुपालन अब सिर्फ रोजी-रोटी नहीं, बल्कि कमाई का मजबूत उद्योग बनने जा रहा है. केंद्र सरकार की योजना के तहत पशुपालकों को उद्यमी बनने का मौका मिलेगा. इस पहल से आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और अनुदान के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आय और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
Animal Husbandry Scheme : गांवों में पशुपालन अब सिर्फ गुजारे का साधन नहीं रहने वाला. बदलते दौर में केंद्र सरकार पशुपालकों को उद्यमी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है. अब गाय-भैंस, बकरी, मुर्गी या अन्य पशुओं का पालन सिर्फ दूध या मांस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे जुड़ा पूरा उद्योग खड़ा किया जा सकेगा. खास बात यह है कि इसके लिए पशुपालकों को भारी भरकम पूंजी लगाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि सरकार की योजना के तहत लाखों रुपये तक का अनुदान मिलेगा.
पशुपालन अब बनेगा उद्योग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत चल रहे उद्यमिता विकास कार्यक्रम का मकसद पशुपालन को उद्योग का रूप देना है. इस योजना के जरिए पशुपालकों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने की तैयारी की गई है. अब पशुपालक पारंपरिक तरीके से आगे बढ़कर वैज्ञानिक पशुपालन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से जुड़ सकेंगे. इससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि गांवों में रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगे.
किन कामों के लिए मिलेगा लाभ
इस योजना के तहत पशु-आधारित कई तरह के उद्योग शुरू किए जा सकते हैं. इसमें डेयरी, ग्रामीण मुर्गीपालन, भेड़-बकरी पालन , सूकर पालन, चारा विकास, ऊंट, घोड़ा और गधा पालन जैसे काम शामिल हैं. खास बात यह है कि योजना का दायरा काफी बड़ा रखा गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें. निजी व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, किसान समूह, उत्पादक संगठन और गैर-लाभकारी संस्थाएं भी इस योजना में शामिल हो सकती हैं.
कितना अनुदान और कैसे मिलेगी मदद
उद्योग लगाने के लिए पशुपालक को कुल लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा खुद लगाना होगा. बाकी पूंजी में बड़ा हिस्सा अनुदान के रूप में मिलेगा. योजना के तहत पूंजीगत लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. अलग-अलग श्रेणियों में अधिकतम 50 लाख रुपये तक की सहायता का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही बैंकिंग सहयोग और वित्तीय मार्गदर्शन भी दिया जाएगा, ताकि पशुपालकों को पैसे की कमी के कारण पीछे न हटना पड़े.
प्रशिक्षण से लेकर बाजार तक पूरा सहारा
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सिर्फ पैसा ही नहीं, बल्कि पूरा सिस्टम तैयार किया गया है. पशुपालकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन कर सकें. इसके साथ ही उन्हें बाजार से जोड़ने की भी व्यवस्था की गई है, जिससे उनके उत्पादों को सही कीमत मिल सके. इसके लिए प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं, जो पशुपालकों को नई तकनीक, आहार प्रबंधन और उद्योग संचालन की जानकारी देंगे.