भेड़-बकरी पालन से बदलेगी पशुपालकों की आर्थिक तस्वीर, सरकार दे रही 50 फीसदी तक सब्सिडी

भेड़ और बकरी पालन ग्रामीण परिवारों के लिए आय का मजबूत साधन बनता जा रहा है. सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी, ब्याज में राहत और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं दे रही है. सही योजना और जानकारी के साथ यह व्यवसाय किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 25 Dec, 2025 | 02:55 PM
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Animal Husbandry : गांव में अगर किसी किसान के पास कुछ भेड़ या बकरियां हैं, तो उसे खाली हाथ नहीं माना जाता. इन्हें यूं ही गरीबों का एटीएम नहीं कहा जाता. अब सरकार भी इस बात को समझ रही है और भेड़-बकरी पालन को मजबूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर मदद दे रही है. नई योजनाओं के तहत सब्सिडी, सस्ता लोन और ट्रेनिंग जैसी सुविधाओं को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है.

50 फीसदी तक की सब्सिडी

भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार, 500 भेड़ या बकरियों की क्षमता वाली परियोजनाओं पर सरकार 50 प्रतिशत तक पूंजी सब्सिडी दे रही है. इस सब्सिडी की अधिकतम सीमा 50 लाख रुपये तक रखी गई है. इसका मकसद यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बड़े स्तर पर भेड़-बकरी पालन  को व्यवसाय के रूप में अपनाएं. इस योजना को लेकर किसानों और उद्यमियों की ओर से काफी अच्छी प्रतिक्रिया सामने आ रही है.

एएचआईडीएफ योजना

पशुपालन अवसंरचना विकास कोष मतलब एएचआईडीएफ के जरिए अनुपयोगी से धन कमाने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसके तहत वैक्सीन उत्पादन इकाइयों, प्राथमिक ऊन प्रसंस्करण और अन्य गतिविधियों पर 3 प्रतिशत तक ब्याज सब्सिडी दी जा रही है. इसके साथ ही किसानों और पशुपालकों  को आधुनिक तकनीक और प्रबंधन की ट्रेनिंग देने पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि वे इस क्षेत्र में टिकाऊ कमाई कर सकें.

भेड़ पालन को ताकत

भारत में डेयरी और पोल्ट्री सेक्टर ने सहकारी समितियों  और निजी कंपनियों के जरिए मजबूत बाजार खड़ा किया है. इसी वजह से किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल रहा है. भारत आज दुनिया के कुल दूध उत्पादन का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा देता है और अंडा उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. अब इसी तरह का मॉडल भेड़ और बकरी पालन में भी अपनाने की जरूरत बताई जा रही है.

टीकाकरण पर जोर

भेड़ और बकरियां  ग्रामीण परिवारों के लिए सबसे भरोसेमंद सहारा मानी जाती हैं. लेकिन ऊन की घटती मांग और बीमारियों की वजह से यह सेक्टर चुनौतियों से जूझ रहा है. ऐसे में मांस और ऊन की उत्पादकता बढ़ाने, बेहतर नस्ल विकसित करने और पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है. पीपीआर जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों को भी जरूरी बताया गया है.

कैसे करें आवेदन

इस योजना का लाभ भारत का कोई भी नागरिक ले सकता है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोग, किसान और बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बकरी पालन का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र होने पर लोन मिलने में आसानी होती है. आवेदन के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक, फोटो, जमीन या शेड से जुड़े कागजात और एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट जरूरी होती है. इच्छुक आवेदक NLM की आधिकारिक वेबसाइट (https://nlm.udyamimitra.in/Login/Login) या संबंधित विभाग के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं.

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Published: 25 Dec, 2025 | 02:55 PM

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