सहकार से समृद्धि का नारा टेक्नोलॉजी अपनाकर ही जमीन पर उतर पाएगा, सहकारी समितियों को टेक फ्रेंडली होना होगा

उभरती टेक्नोलॉजी वैश्विक बाजार को नया आकार दे रही हैं. भारतीय सहकारी समितियां अब पीछे नहीं रह सकतीं. उन्हें मॉडर्न टेक्नोलॉजी को और नवीन व्यावसायिक मॉडल अपनाने होंगे. यह उन्हें समावेशी विकास का इंजन बनाएगा क्योंकि हम 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखते हैं.

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नोएडा | Updated On: 24 Dec, 2025 | 01:09 PM
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भारत में लगभग 8,50,000 सहकारी समितियां हैं, जिनके 290 मिलियन से ज्यादा सदस्य अपनी आजीविका के लिए इन सामूहिक उद्यमों पर निर्भर हैं. सहकारी समितियां भारत की जमीनी अर्थव्यवस्था की स्तंभ हैं. फिर भी तेजी से बदलती दुनिया में संसाधनों की कमी, सीमित टेक्नोलॉजी अपनाने के कारण कई समितियां संघर्ष कर रही हैं. प्रधानमंत्री का ‘सहकार से समृद्धि’ आह्वान तभी सच हो सकता है जब सहकारी समितियां इंडस्ट्री 4.0 के उपकरणों को अपनाएं जो कौशल, ट्रांसपेरेंसी और स्थायी विकास का वादा करते हैं. चौथी औद्योगिक क्रांति के साथ तालमेल बिठाकर सहकारी समितियां आर्थिक विकास में अहम योगदानकर्ता के रूप में अपनी भूमिका को फिर से हासिल करने के लिए तैयार हैं.

वैश्विक बाजार को नया आकार दे रही उभरती टेक्नोलॉजी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के संयुक्त सचिव केके त्रिपाठी ने एक कॉलम में कहा है कि उभरती टेक्नोलॉजी वैश्विक बाजार को नया आकार दे रही हैं. भारतीय सहकारी समितियां अब पीछे नहीं रह सकतीं. उन्हें इंडस्ट्री 4.0 टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा और नवीन व्यावसायिक मॉडल अपनाने होंगे. उन्हें दक्षता, प्रतिस्पर्धात्मकता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT), बिग डेटा और स्मार्ट सिस्टम अपनाने होंगे. यह उन्हें समावेशी विकास का इंजन बनाएगा क्योंकि हम 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखते हैं.

कृषि सहकारी समितियां उत्पादन, कटाई प्रक्रियाओं, भंडारण, परिवहन और वितरण को अनुकूलित करने के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग कर सकती हैं. सहकारी संस्कृति आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास को बढ़ावा देती है जो एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र में दूर-दूर तक फैली हुई हैं, जिसमें किसान सदस्य, कर्मचारी, विक्रेता, सहयोगी, उपभोक्ता, आदि सभी के हितों की सेवा के सामान्य उद्देश्य से एकजुट हैं. प्रशिक्षित मानव संसाधनों की मदद से यह भावना आधुनिकीकरण के प्रयासों में शामिल सभी लोगों को आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक माहौल में प्रासंगिक बने रहने के लिए एकजुट कर सकती है.

अमूल और इफको मॉडर्न टेक्नोलॉजी अपनाने में आगे निकल गए

सहकारी समितियों को अपनी टेक्नोलॉजी अपनाने की कमियों को दूर करना होगा. कम से कम 2008 से डिजिटल सिस्टम उत्पादन प्रणालियों में बदलाव ला रहे हैं, डेटा एनालिटिक्स और व्यापक नेटवर्क लोगों और प्रक्रियाओं को जोड़कर उत्पादकता बढ़ा रहे हैं. सहकारी समितियों को भी इन्हीं लाभों को उठाने की आवश्यकता है. समय पर डेटा साझा करने से सोर्सिंग और उत्पादन प्रबंधन से लेकर गुणवत्ता नियंत्रण और वितरण तक मूल्य श्रृंखला में समन्वय अनुकूलित होगा. जबकि डेयरी और फर्टिलाइजर सेक्टर में हमारे मल्टीनेशनल कोऑपरेटिव, अमूल और इफको, मॉडर्न टेक्नोलॉजी अपनाने में बहुत आगे निकल गए हैं, लेकिन अब समय की जरूरत है कि 177,000 क्रेडिट और 677,000 नॉन-क्रेडिट कोऑपरेटिव को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित और सक्षम किया जाए.

दुनियाभर में उपज बढ़ाने और बर्बादी रोकने के लिए तकनीक अपनाई जा रही

वैश्विक स्तर पर कोऑपरेटिव खुद को बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को अपना रहे हैं. EU के स्मार्ट फार्मिंग कोऑपरेटिव ने पैदावार बढ़ाने और बर्बादी कम करने के लिए सेंसर कनेक्टेड डिवाइस और डेटा प्लेटफॉर्म जैसे सटीक टूल अपनाए हैं. स्वीडन में एक मजबूत हाउसिंग कोऑपरेटिव आंदोलन देखने को मिला है जो किफायती और पर्यावरण के अनुकूल शहरी आवास प्रदान करता है. इंडोनेशिया ने बेहतर गवर्नेंस और मार्केट इंटीग्रेशन के ज़रिए सदस्य सेवा एफिशिएंसी को बेहतर बनाने के लिए अपने फार्म कोऑपरेटिव को फिर से डिजाइन किया है.

समितियों को टेक एप्लीकेशन की चुनौती से निपटना होगा

केके त्रिपाठी ने कहा कि हमारे पास पहले से ही ऐसे सक्सेस मॉडल हैं जिनसे कोऑपरेटिव सीख सकते हैं और सबक अपना सकते हैं. ग्लोबल कोऑपरेटिव डेयरी ब्रांड के रूप में पहचान बना चुके अमूल ने दूध उत्पादन और प्रोसेसिंग से लेकर कोल्ड चेन मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक्स और डिस्ट्रीब्यूशन तक कई प्रमुख कामों को ऑटोमेट करने के लिए एनालिटिकल टूल और IoT सॉल्यूशन अपनाए हैं.

कंज्यूमर फेसिंग कोऑपरेटिव कस्टमर की पसंद के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बिग डेटा और क्लाउड प्लेटफॉर्म का फायदा उठा सकते हैं. बड़े पैमाने पर सेल्फ सर्विस सिस्टम टेक्नोलॉजी और पॉइंट ऑफ सेल नेटवर्क को मैनेज करने के लिए कंज्यूमर कोऑपरेटिव के लिए IoT और क्लाउड बेस्ड एनालिटिक्स का इंटीग्रेशन बहुत जरूरी है. प्रोडक्ट डेमोंस्ट्रेशन, कम्युनिकेशन, कंटेंट डिलीवरी और कंज्यूमर एंगेजमेंट को बेहतर बनाने के तरीके के रूप में वर्चुअल रियलिटी टूल का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है.

चीनी समितियां टेक्नोलॉजी का ज्यादा लाभ उठा सकते हैं

कॉलम के सहलेखक प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने कहा कि कृषि कोऑपरेटिव और खास तौर पर चीनी कोऑपरेटिव क्लाउड और IoT टेक्नोलॉजी से फायदा उठा सकते हैं जो बड़ी मात्रा में डेटा को स्टोर करने, प्रोसेस करने और एनालाइज करने में मदद करती हैं. जमीनी स्तर पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए कोऑर्डिनेटेड ड्रोन सटीक खेती, वैल्यू एडिशन और कुशल संसाधन प्रबंधन के प्रमुख साधन के रूप में उभर रहे हैं. मशीन लर्निंग और AI एप्लीकेशन बेहतर प्रोडक्टिविटी के लिए फैसले लेने में मदद कर सकते हैं.

क्रेडिट कोऑपरेटिव्स में डिजिटल बदलाव देखने को मिल रहा है, क्योंकि भारत का क्रेडिट सेक्टर टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस पर ज्यादा निर्भर होता जा रहा है. क्रेडिट योग्यता के आकलन, क्रेडिट मैनेजमेंट और कस्टमर संबंधों को मजबूत करने के लिए बिग डेटा एनालिटिक्स, AI और ब्लॉकचेन आधारित सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है. इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव्स में AI और IoT, रोबोटिक ऑटोमेशन के साथ मिलकर प्रोडक्टिविटी और प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं. नई टेक्नोलॉजी का रेगुलेटरी कंप्लायंस सुनिश्चित करने और कस्टमर संतुष्टि बढ़ाने में भी भूमिका है.

मछली पालन में समितियां भी तकनीक से लाभ उठा पाएंगी

मत्स्य पालन कोऑपरेटिव्स परिणामों को बेहतर बनाने और आय के अवसरों को बढ़ाने के लिए एनालिटिकल टूल्स, GPS, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और रिमोट सेंसिंग का उपयोग कर सकते हैं. सर्विस कोऑपरेटिव्स लागत अनुकूलन और सुव्यवस्थित व्यावसायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अधिक परिचालन दक्षता प्राप्त करने के लिए साइबर फिजिकल सिस्टम, क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म, IoT और AI को तैनात करने में महत्वपूर्ण मूल्य पा सकते हैं.

विश्व स्तर पर कोऑपरेटिव्स आधुनिक टेक्नोलॉजी, प्रभावी शासन और सक्रिय सदस्य जुड़ाव के माध्यम से खुद को नया रूप दे रहे हैं. भारतीय कोऑपरेटिव्स को न केवल साथ चलना चाहिए, बल्कि आगे बढ़ने का लक्ष्य रखना चाहिए. डिजिटल होने के लिए उन्हें सरल लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और लचीली रणनीतियों का पालन करना चाहिए. बदलाव को अपनाकर हमारे कोऑपरेटिव्स उद्देश्य के साथ लाभ दर्ज कर सकते हैं और विकसित भारत की ओर भारत की यात्रा को शक्ति देने में मदद कर सकते हैं.

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Published: 24 Dec, 2025 | 12:57 PM

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