अगर आप भैंस पालन से कमाई करना चाहते हैं, लेकिन हर बार गर्भाधान फेल हो जाता है तो आपके लिए ये खबर किसी चमत्कार से कम नहीं. दरअसल, भैंसों के गर्भधारण पर मौसम का गहरा असर पड़ता है और यही तय करता है कि आपको कब कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) कराना चाहिए. रिसर्च और आंकड़े कहते हैं कि सितंबर से फरवरी का समय भैंसों के लिए सबसे उपयुक्त प्रजनन काल होता है. इस समय यदि सही ढंग से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाए तो सफलता की दर 70 फीसदी से ऊपर जा सकती है.
भैंसो के गाभिन होने का सही समय
पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश के अनुसार मार्च से अगस्त के बीच, जब दिन लंबे और गर्म होते हैं, उस दौरान सिर्फ 26.17 प्रतिशत भैंसें ही प्रजनन अवस्था में आती हैं. वहीं, सितंबर से फरवरी के बीच जब मौसम ठंडा होता है और दिन छोटे होते हैं, तब 73.83 प्रतिशत भैंसें हीट में आती हैं. इसका मतलब है कि इस ठंड के सीजन में भैंसें प्रेग्नेंट होने के लिए ज्यादा तैयार रहती हैं. ऐसे में यह समय कृत्रिम गर्भाधान के लिए सबसे उपयुक्त है.
कब कराना चाहिए गर्भाधान
गर्भाधान का सही समय तभी तय होता है जब आप मद (हीट) की स्थिति को पहचानें. इसे तीन चरणों में बांटा गया है.
- प्रारंभिक चरण – पशु की भूख कम हो जाती है, दूध उत्पादन घटता है और बेचैनी रहती है.
- मध्य चरण – इस अवस्था में पशु के जननांग से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता है और वह दूसरे पशुओं से घुलने-मिलने लगता है. यही समय होता है जब कृत्रिम गर्भाधान (AI) सबसे सफल रहता है.
- अंतिम चरण – सब कुछ सामान्य होने लगता है और गर्भाधान का सही समय निकल चुका होता है.
वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाएं पशुओं की संख्या
ऋतु और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए पशुपालकों को चाहिए कि वे वैज्ञानिक तरीके अपनाएं.
- मौसम और हीट साइकिल के हिसाब से कृत्रिम गर्भाधान (AI) कराएं.
- साफ-सफाई और आहार का ध्यान रखें.
- पशु की गतिविधि लगातार मॉनिटर करें.
- एक्सपर्ट से सलाह लेकर प्रजनन का शेड्यूल तय करें.
क्यों जरूरी है सही समय पर कृत्रिम गर्भाधान
सही समय पर किया गया कृत्रिम गर्भाधान न केवल गर्भाधान की सफलता दर बढ़ाता है, बल्कि इससे भैंस जल्दी दूध देने लगती है, जिससे लागत कम और आमदनी ज्यादा होती है.