कृत्रिम गर्भाधान से बदली पशुपालन की तस्वीर, गांवों में बढ़ा दूध उत्पादन और किसानों की कमाई

कृत्रिम गर्भाधान तकनीक ने गांवों में पशुपालन को आसान और फायदेमंद बना दिया है. अब किसान घर बैठे ही गायों की नस्ल सुधार पा रहे हैं. इस तकनीक से हर प्रसव में बेहतर बछड़े की उम्मीद बढ़ती है, बीमारियों का खतरा घटता है और दूध उत्पादन में भी तेजी आती है. इससे किसानों की कमाई स्वाभाविक रूप से बढ़ रही है.

नोएडा | Updated On: 30 Nov, 2025 | 06:26 PM

Artificial Insemination : सर्दी – गर्मी हो या बरसातदूध की जरूरत कभी खत्म नहीं होती. गांव हो या शहर, हर घर में दूध, दही, घी और लस्सी की मांग हमेशा रहती है. ऐसे में अगर गायें ज्यादा दूध दें और सेहतमंद बछड़े पैदा हों, तो किसानों की कमाई भी तेजी से बढ़ती है. पहले किसानों को अच्छे नस्ल के सांड मिलना मुश्किल होता था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. आधुनिक तकनीक ने गायों की नस्ल सुधारने से लेकर दुग्ध उत्पादन बढ़ाने तक सब कुछ आसान कर दिया है. कृत्रिम गर्भाधान यानी Artificial Insemination (AI) गांवगांव में किसानों की उम्मीद बनकर उभर रहा है. यह तकनीक बिना किसी जोखिम के गायों को गर्भधारण में मदद करती है और हर बार बेहतर नस्ल का बछड़ा पैदा होने की संभावना बढ़ाती है.

आधुनिक तकनीक से बदल रहा पशुपालन का तरीका

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गांवों में पहले गायों की नस्ल सुधार  एक बड़ी चुनौती थी. किसान अक्सर अपने इलाके में उपलब्ध सांडों पर निर्भर रहते थे, जिससे कई बार कमजोर या कम दूध देने वाले पशु पैदा हो जाते थे. लेकिन कृत्रिम गर्भाधान ने इस चिंता को काफी कम कर दिया है. इस तकनीक में उच्च नस्ल के बैलों का सुरक्षित वीर्य वैज्ञानिक तरीके से गायों में डाला जाता है. इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है और पैदा होने वाली संतति पहले से ज्यादा मजबूत, स्वस्थ और अधिक दूध देने वाली होती है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह तकनीक अब शहरों से निकलकर गांवों तक पहुंच चुकी है. किसान बिना ज्यादा खर्च किए अपने घर बैठे ही इस सेवा का लाभ ले पा रहे हैं.

बीमारियों का खतरा बेहद कम, फसल जैसी सुरक्षा पशुधन को भी

स्वाभाविक गर्भाधान के समय कई तरह की बीमारियां एक पशु से दूसरे पशु में फैल सकती हैं. लेकिन कृत्रिम गर्भाधान में ऐसी समस्या लगभग नहीं होती. क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया संपर्क रहित यानी contactless तरीके से की जाती है. इससे पशु सुरक्षित रहते हैं और संक्रमण की आशंका खत्म हो जाती है. यही नहीं, यह तकनीक पूरी तरह नियंत्रित प्रक्रिया है. इसमें यह भी तय होता है कि कब, किस गाय को गर्भाधान करना है और किस नस्ल का वीर्य इस्तेमाल करना है. ऐसे में किसानों का समय भी बचता है और उनका पशुधन भी स्वस्थ रहता है.

हर प्रसव में बेहतर नस्ल का बछड़ा, कमाई भी बढ़ती

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक गाय अपने जीवन में लगभग 6 से 7 बार बछड़ा दे सकती है. पहले यह किस्मत का खेल होता था कि बछड़ा कैसा पैदा होगाकमजोर, मजबूत या कम दूध देने वाला. लेकिन कृत्रिम गर्भाधान ने इस अनिश्चितता को खत्म कर दिया है. बेहतरीन नस्ल के बैलों का वीर्य इस्तेमाल होने से हर बार बेहतर और स्वस्थ बछड़े की उम्मीद बढ़ जाती है. बेहतर नस्ल का मतलब

सरकार की पहल से गांवगांव तक पहुंची सुविधा

इस तकनीक को लोकप्रिय बनाने में सरकारी योजनाओं का भी बड़ा योगदान है. अलग-अलग जगहों पर फ्री शिविर लगाए जा रहे हैं, जिसमें पशुपालकों  को जानकारी दी जाती है, उनका पंजीकरण होता है और उन्हें बिना किसी परेशानी के यह सेवा उपलब्ध कराई जाती है. कई गांवों में तकनीशियन घर पर ही पहुंचकर इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं. इससे किसानों का समय भी बचता है और उन्हें कहीं जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती. आधुनिक तकनीक से अब गांवों के पशुपालक भी बड़े पैमाने पर अपनी गायों की नस्ल सुधार पा रहे हैं और दूध उत्पादन  में बढ़ोतरी कर रहे हैं.

Published: 30 Nov, 2025 | 09:22 PM

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