गायों के गर्भाधान के लिए सांड की जरूरत खत्म होगी, फ्रोजेन स्पर्म का होगा इस्तेमाल

गायों के नस्ल सुधार और ज्यादा दूध देने वाली गायों के लिए उत्तर प्रदेश में फ्रोजेन स्पर्म प्रोडक्शन सेंटर्स बनाए जा रहे हैं. इन सेंटर्स में अच्छी नस्ल के सांड के वीर्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में कामयाबी मिलेगी.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 18 May, 2025 | 01:28 PM

उत्तर प्रदेश में पशुपालकों को अब बेहतर नस्ल की गायें कम लागत में उपलब्ध हो सकेंगी. इसके लिए सरकार ने राज्य में 3 फ्रोजेन स्पर्म या सीमेन प्रोडक्शन सेंटर स्थापित किए हैं. इन सेंटर्स में सांडों से वैज्ञानिक तरीके से वीर्य निकालकर तरल नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा जा रहा है. इस तकनीक की खासियत यह है कि इससे बिना संक्रमण और बिना किसी बीमारी के खतरे के बड़ी संख्या में गायों का गर्भाधान किया जा सकता है. इससे दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा और कमजोर नस्लों में सुधार होगा.

साइंटिफिक तरीके से स्पर्म कलेक्शन

उत्तर प्रदेश में तीन फ्रोजेन स्पर्म प्रोडक्शन सेंटर हैं, जहां पर साइंटिफिक तरीके से स्पर्म कलेक्शन की प्रक्रिया की जाती है. इन केन्द्रों पर अच्छे नस्ल के सांड से वैज्ञानिक तरीके से वीर्य निकाला जाता है. इसके बाद विशेषज्ञ वीर्य की गुणवत्ता की जांच करते हैं और जब यह सही पाया जाता है तो इसे स्ट्रॉज नामक ट्यूब्स में भरकर तरल नाइट्रोजन में रखा जाता है. इस प्रक्रिया से वीर्य कई सालों तक सुरक्षित रहता है और इसमें संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं रहता.

एक बार में कई गर्भाधान हो सकेंगे

पारंपरिक तरीके से एक सांड केवल एक गाय को गर्भवती कर सकता है, लेकिन फ्रोजेन स्पर्म तकनीक में एक सांड से 300-400 गायों तक का कृत्रिम गर्भाधान किया जा सकता है. इस प्रक्रिया से पशुपालकों की लागत कम होती है और संक्रमण का खतरा भी बहुत घट जाता है, जो प्राकृतिक गर्भाधान में आमतौर पर होता है. इससे न केवल गायों की संख्या बढ़ती है, बल्कि उनके स्वास्थ्य में भी सुधार होता है.

सुदूर इलाकों में भी सुविधा का विस्तार

इस तकनीक से दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में भी पशुपालकों को सस्ती और सुरक्षित कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा मिल रही है. जो मादा पशु स्वाभाविक गर्भाधान के दौरान सांड का भार सहन नहीं कर पातीं, उनके लिए यह तकनीक खासतौर पर फायदेमंद साबित हो रही है. इसके माध्यम से कमजोर और छोटी नस्ल के गायों को भी गर्भवती कराया जा सकता है, जिससे पशुपालकों की आमदनी बढ़ेगी.

नस्ल संरक्षण और प्रजनन नीति का पालन

फ्रोजेन स्पर्म तकनीक का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह विलुप्त हो रही नस्लों का संरक्षण करने में मदद करती है. इससे नस्लों की विविधता बनी रहती है और संकटग्रस्त नस्लों का वीर्य सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश में लागू पशु प्रजनन नीति के तहत, इस तकनीक का उपयोग सांडों के पालन, वीर्य उत्पादन और वितरण में किया जा रहा है, जिससे राज्य की प्रजनन नीति को सही तरीके से लागू किया जा रहा है.

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Published: 18 May, 2025 | 01:23 PM

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