मछलियों के मल से बनेगा प्रोटीन, बायोफ्लॉक तकनीक से होगी तेज ग्रोथ

मछलियों के मल और बेकार बचे खाने को बैक्टीरिया की मदद से प्रोटीन में बदला जाता है, जिसे मछलियां फिर से खा लेती हैं. इससे खाना भी बचता है और मछलियां जल्दी बढ़ती हैं.

नई दिल्ली | Published: 11 May, 2025 | 01:10 PM

अगर आप अपने घर से ही कोई लाभदायक व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो मछली पालन यानी फिश फार्मिंग आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है. भारत में मछलियों की मांग तो बहुत है, लेकिन सप्लाई अभी भी पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology) किसानों और नए उद्यमियों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरी है.

यह तकनीक मछली पालन को सस्ता, टिकाऊ और छोटे जगह में संभव बना देती है. आइए जानें, क्या है बायोफ्लॉक, इससे मछली पालन कैसे किया जाता है और आप इससे कमाई कैसे कर सकते हैं.

क्या है बायोफ्लॉक तकनीक?

बायोफ्लॉक एक वैज्ञानिक तरीका है जिसमें मछलियों को टैंक में पाला जाता है. इस टैंक को तारपोलिन या सीमेंट से बनाया जा सकता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें मछलियों के मल और बेकार बचे खाने को बैक्टीरिया की मदद से प्रोटीन में बदला जाता है, जिसे मछलियां फिर से खा लेती हैं. इससे खाना भी बचता है और मछलियां जल्दी बढ़ती हैं. इस तकनीक की शुरुआत इंडोनेशिया में हुई थी और अब यह भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

बायोफ्लॉक से मछली पालन के फायदे

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने के कई ऐसे फायदे हैं जो इसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी और सुविधाजनक बनाते हैं. सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी की खपत बेहद कम होती है, जिससे पानी की बचत होती है और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. इसके अलावा, छोटे से स्थान में भी बड़ी मात्रा में मछली का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे जमीन की कमी वाले लोग भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं.

बायोफ्लॉक टैंक आमतौर पर घर या शेड में रखे जाते हैं, जिससे चोरी या बाहरी नुकसान का खतरा भी बेहद कम हो जाता है. अगर हम इसे पारंपरिक तालाब से तुलना करें, तो जहां एक एकड़ के तालाब में सिर्फ 5 टन तक मछली पैदा की जा सकती है, वहीं बायोफ्लॉक टैंक से प्रति वर्ग फुट में 2.5 टन तक मछली का उत्पादन संभव है.

इस तकनीक की वजह से मछलियों की ग्रोथ तेजी से होती है, क्योंकि उन्हें पोषण लगातार मिलता रहता है. यही कारण है कि मछली पालकों को जल्दी कमाई का मौका भी मिल जाता है. यही सारे कारण हैं जिनकी वजह से बायोफ्लॉक तकनीक आज के समय में मत्स्य पालन का एक स्मार्ट और लाभदायक विकल्प बन चुकी है.

किन संसाधनों की होती है जरूरत?

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू करने के लिए कुछ जरूरी चीजें चाहिए होती हैं:

टैंक: सीमेंट या तारपोलिन का बना हुआ.

एयर पंप: जिससे मछलियों को ऑक्सीजन मिलती रहे.

बिजली या सोलर पावर: एयरेशन और अन्य उपकरणों के लिए.

मत्स्य बीज (Fish Seed): अच्छी नस्ल की मछलियों के बच्चे.

शेड: ताकि मछलियों को गर्मी-सर्दी से बचाया जा सके.

तापमान नियंत्रण भी जरूरी है, खासकर 28–30°C के बीच.

कितनी लागत और कितनी कमाई?

अगर आप छोटे स्तर पर शुरुआत करना चाहते हैं तो शुरुआती खर्च करीब ₹50,000 से ₹60,000 के बीच आ सकता है. इसमें टैंक, एयर पंप, बिजली, बीज, और शेड की लागत शामिल होती है. कमाई की बात करें तो अगर आप मेहनत और सही देखभाल करें, तो कुछ महीनों में ही ₹1 लाख से ₹2 लाख सालाना तक की कमाई संभव है. बड़े स्तर पर यह आय और भी ज्यादा हो सकती है.