Barbari Goat: दिखने में हिरण, कमाई में हीरा, किसानों के लिए सोना उगलने वाली नस्ल!
बरबरी नस्ल की बकरी कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. इसका दूध डेंगू मरीजों के लिए फायदेमंद होता है और मांस 900 रुपये किलो तक बिकता है. पालना आसान और आमदनी शानदार है.
खेती के साथ-साथ पशुपालन ग्रामीण किसानों के लिए हमेशा से कमाई का अच्छा जरिया रहा है. खासकर बकरी पालन अब छोटे किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला कारोबार बन चुका है. रायबरेली जिले में तेजी से बढ़ते बकरी पालन व्यवसाय में एक नस्ल ने सभी का ध्यान खींचा है- बरबरी नस्ल की बकरी. यह बकरी अपने स्वादिष्ट मांस, पोषक दूध और कम देखरेख के चलते किसानों के लिए सोना उगलने वाली मशीन बन चुकी है.
बरबरी नस्ल: दिखने में हिरण, मुनाफे में हीरा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बरबरी नस्ल की बकरी का रंग सफेद होता है और उस पर लाल रंग के धब्बे होते हैं, जिससे यह दूर से देखने में हिरण जैसी लगती है. इसके छोटे कान और सींग इसे आकर्षक बनाते हैं. इस नस्ल की बकरी 15 महीने में दो बार बच्चे देती है, जिससे इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ाई जा सकती है.
बरसात में बढ़ जाता है दूध, स्वाद और सेहत का खजाना
बरबरी नस्ल की बकरी की खास बात यह है कि जहां बारिश में गाय-भैंस का दूध कम हो जाता है, वहीं इस बकरी का दूध बरसात में और बढ़ जाता है. यह बकरी नीम के पत्ते खाना पसंद करती है, जो इसकी सेहत और दूध की गुणवत्ता दोनों के लिए फायदेमंद है. यह रोजाना 1 से 2 लीटर तक दूध देती है, जो बाजार में 200 से 300 रुपये प्रति लीटर बिकता है.
900 रुपये किलो मांस, भारी डिमांड
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बरबरी नस्ल का मांस न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है. इसका मांस 900 रुपये प्रति किलो तक बाजार में आसानी से बिकता है. एक वयस्क बकरी का वजन 40 किलो तक हो सकता है, जिससे एक बार में ही अच्छा मुनाफा मिल सकता है.
डेंगू के मरीजों के लिए फायदेमंद है दूध
बरबरी नस्ल की बकरी का दूध सिर्फ आम उपयोग के लिए नहीं, बल्कि डेंगू जैसे रोगों में भी रामबाण है. इसका दूध डेंगू के मरीजों के प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करता है. इसका यही औषधीय गुण इसे अन्य नस्लों से अलग बनाता है.
कम देखरेख, ज्यादा मुनाफा
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