भारत की गिर गाय से ब्राजील ने बनाई नई नस्ल गिरोलैंडो, जेनेटिक तकनीक से पशुपालकों की बढ़ी आमदनी

Kisan India Annapurna Summit 2025: अन्नपूर्णा समिट 2025 में राधेश्याम दीक्षित ने गिरोलैंडो गाय और जेनेटिक तकनीक की खासियतों को बताया. भारत की गिर गाय से विकसित यह नस्ल ज्यादा दूध देती है. अगर इसकी तकनीक भारत आएगी, तो देसी गायों की गुणवत्ता सुधरेगी, उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में सीधा फायदा होगा.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 19 Dec, 2025 | 03:20 PM

Girolando Cow : सोचिए.. जिस देसी गाय को कभी भारत में आम समझा गया, वहीं गाय दुनिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल की जड़ बन जाए. भारत से ब्राजील तक गई गिर गाय की कहानी आज फिर चर्चा में है. किसान इंडिया (Kisan India) ने किसानों के लिए अन्नपूर्णा समिट 2025 (Annapurna Summit 2025) का आयोजन किया, जिसमें डेयरी सेक्टर के कई बड़े धुरंधर मौजूद रहे. आनंदा ग्रुप के CEO और फाउंडर राधेश्याम दीक्षित ने अन्नपूर्णा समिट 2025 में गिर नस्ल के विशेषताओं के बारे में बताया. इसके साथ ही उन्होंने पशुओं के लिए जेनेटिक टेक्नोलॉजी के बारे में भी बताया.

भारत से ब्राजील तक गई देसी गाय की अनोखी कहानी

Girolando Cow, Genetic Technology, Dairy Innovation, Milk Production

आनंदा ग्रुप के CEO और फाउंडर राधेश्याम दीक्षित

अन्नपूर्णा समिट 2025 राधेश्याम दीक्षित (Radheshyam Dixit) ने बताया कि करीब 80 साल पहले भारत की गिर नस्ल  की गाय ब्राजील ले जाई गई थी. उस समय शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह देसी नस्ल एक दिन दुनिया में नाम कमाएगी. ब्राजील के वैज्ञानिकों और डेयरी विशेषज्ञों ने गिर गाय की खासियतों  को समझा और उसे और बेहतर बनाने पर काम किया. गिर गाय गर्मी सहने में माहिर होती है, बीमार कम पड़ती है और कम संसाधनों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है. इन्हीं खूबियों को ध्यान में रखकर ब्राजील ने इस नस्ल पर रिसर्च की और नई दिशा दी.

गिरोलैंडो कैसे बनी और क्यों है सबसे खास

गिरोलैंडो नस्ल भारत की गिर गाय और विदेशी होल्स्टीन गाय को मिलाकर तैयार की गई है. गिर गाय गर्म इलाकों में रहने और बीमारियों का सामना करने में सक्षम होती है, जबकि होल्स्टीन गाय ज्यादा दूध देने के लिए प्रसिद्ध है. इन दोनों नस्लों के गुणों का संकरण गिरोलैंडो गाय को ताकतवर, स्वस्थ और दुधारू  बनाता है. यह नस्ल गर्मी सहने में सक्षम होने के साथ-साथ उच्च मात्रा में दूध देने की क्षमता रखती है.

गिरोलैंडो गाय की पहचान कैसे करें

Annapurna Summit 2025

आनंदा ग्रुप के CEO और फाउंडर राधेश्याम दीक्षित

राधेश्याम दीक्षित ने अन्नपूर्णा समिट 2025 में कहा कि गिरोलैंडो गाय  को पहचानना आसान है. इसके शरीर पर काले-सफेद या लाल-सफेद धब्बे होते हैं. इसके कान बड़े और लटकते हुए होते हैं, माथा चौड़ा होता है, जो गिर गाय जैसा दिखता है. शरीर मजबूत होता है और थन बड़े होते हैं, जो होल्स्टीन गाय की पहचान माने जाते हैं. यह नस्ल खास तौर पर गर्म इलाकों के लिए बनाई गई है.

भारतीय किसानों के लिए क्यों है बड़ी उम्मीद

अन्नपूर्णा समिट में राधेश्याम दीक्षित ने कहा कि अगर गिरोलैंडो नस्ल या इसकी जेनेटिक तकनीक भारत आती है, तो इससे देसी गायों की गुणवत्ता सुधरेगी . दूध उत्पादन बढ़ेगा, बीमारी पर खर्च कम होगा और किसानों की आमदनी में सीधा फायदा मिलेगा. सरकार के नए एग्रीमेंट से उम्मीद है कि भारत अपनी ही जेनेटिक ताकत को वापस ला पाएगा. अगर ऐसा हुआ, तो डेयरी सेक्टर में बड़ा बदलाव आएगा और भारत एक बार फिर दुनिया में दूध उत्पादन  का मजबूत नेता बन सकता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Side Banner

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?