800 लीटर दूध देती है ये बकरी, किसानों के लिए है चलता-फिरता बैंक.. एक साल में 8 लाख की कमाई

देश में बकरी पालन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. किसान अब एंग्लो-न्युबियन, टोगेनबर्ग और सानेन जैसी उन्नत नस्लों का पालन कर दूध और मांस से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. सानेन नस्ल की बकरी एक वर्ष में लगभग 800 लीटर दूध देती है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Nov, 2025 | 01:02 PM

Goat Farming: देश में बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत कई राज्यों के किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. सरकार भी इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं और सब्सिडी की सुविधा दे रही है. फिर भी, कई किसानों को उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं मिल पा रहा है. लेकिन अब चिंता की जरूरत नहीं है. अगर किसान उन्नत नस्ल की बकरियों का पालन करते हैं, तो अच्छी कमाई हो सकती है. ऐसे  में आज हम कुछ उन्नत नस्ल की बकरियों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका पालन शुरू करने के बाद बंपर कमाई होगी.

पशुपालन से जुड़े जानकारों का भी कहना है कि बकरी पालन  शुरू करने से पहले सबसे जरूरी बात है, उन्नत नस्ल की बकरियों का चयन करना. अगर किसान बिना जानकारी के साधारण नस्ल की बकरियां खरीद लेते हैं, तो उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है. इसलिए बकरी पालन शुरू करने से पहले, किसानों को बेहतर नस्लों और उनकी खासियतों के बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए.

ये हैं उन्नत नस्ल की बकरियां

एंग्लो-न्युबियन नस्ल: एंग्लो-न्युबियन नस्ल की बकरियां दूध उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. यूरोपीय देशों में इनका पालन बड़े पैमाने पर होता है. यह बकरी रोजाना लगभग 5 लीटर दूध देती है, जो देसी पहाड़ी गाय के बराबर है, इसलिए इसे ‘गरीबों की गाय’ भी कहा जाता है. इस नस्ल के बकरे मांस उत्पादन  के लिए भी प्रसिद्ध हैं, क्योंकि इनका वजन बहुत तेजी से बढ़ता है. अगर किसान इस नस्ल का पालन करें, तो वे दूध और मांस दोनों बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

टोगेनबर्ग बकरियां: टोगेनबर्ग बकरियां  एक उन्नत नस्ल मानी जाती हैं, जो अधिक दूध देने के लिए मशहूर हैं. इस नस्ल की एक बकरी प्रतिदिन लगभग 4 से 4.5 लीटर तक दूध देती है. अगर आप दूध का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो यह नस्ल आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है. टोगेनबर्ग नस्ल का मूल स्थान स्विट्जरलैंड है, जहां से ये बकरियां दूसरे देशों में फैलीं. इनकी खासियत यह है कि इनके सींग नहीं होते और इनका रंग भूरा और सफेद मिश्रित होता है.

सानेन नस्ल: सानेन बकरियों को अक्सर ‘चलता-फिरता बैंक’ कहा जाता है, क्योंकि ये ज्यादा दूध देने के लिए मशहूर हैं. यह नस्ल रोजाना करीब 4 लीटर तक दूध देती है. इसका मूल स्थान स्विट्जरलैंड है, लेकिन अब भारत में भी किसान बड़े स्तर पर इसका पालन कर रहे हैं. इसे ‘देसी गाय’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह एक ब्यांत में लगभग 800 लीटर दूध दे सकती है. सानेन बकरी करीब 9 महीने में गर्भधारण कर लेती है और वर्तमान में 80 से ज्यादा देशों में इसका पालन किया जा रहा है. अगर आप सानेन नस्ल की 5 बकरी का पालन करते हैं, तो आप साल में 4, 000 लीटर दूध बेच सकते हैं. अभी बकरी का दूध मार्केट में 200 रुपये लीटर बिक रहा है. इस तरह आप 4, 000 लीटर दूध बेचकर साल में 8, 00000 रुपये कमा सकते हैं.

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Published: 1 Nov, 2025 | 01:00 PM

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