सिर्फ नस्ल नहीं, चारे वाला ये फॉर्मूला अपनाया तो भैंस देने लगी रोजाना 20 लीटर दूध!

सिर्फ अच्छी नस्ल की भैंस रखने से दूध ज्यादा नहीं मिलता, जब तक उसका आहार संतुलित न हो. अगर सही फार्मूला अपनाया जाए तो पशुपालकों की कमाई बढ़ सकती है. बस उसके लिए कुछ जरूरी सावधानी बरतनी पड़ती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 9 Jul, 2025 | 05:23 PM

भैंस पालन करने वाले ज्यादातर किसान मानते हैं कि अगर नस्ल अच्छी हो तो दूध अपने आप ज्यादा मिलेगा. लेकिन हकीकत ये है कि सिर्फ अच्छी नस्ल से बात नहीं बनती. असली फर्क तब आता है जब भैंस को संतुलित आहार, यानी सही मात्रा में हरा चारा, सूखा भूसा और पोषक दाना दिया जाता है. मुर्रा नस्ल की एक भैंस को जब तय फार्मूले के अनुसार आहार दिया जाए तो उसका दूध उत्पादन बढ़कर 20 लीटर प्रतिदिन तक पहुंच सकता है. यही तरीका अब कई पशुपालकों के लिए कमाई बढ़ाने का आसान रास्ता बन चुका है.

अच्छी नस्ल और गाढ़े दूध की सबसे भरोसेमंद भैंस

अगर आप भैंस पालन से मुनाफा कमाना चाहते हैं तो नस्ल का चयन सबसे अहम है. मुर्रा भैंस को देश की सबसे दूध देने वाली नस्ल माना जाती है. इसके सींग छोटे और अंदर की ओर मुड़े होते हैं. इतना ही नहीं यह रोजाना 15 से 20 लीटर तक गाढ़ा दूध देती है, जिसमें फैट की मात्रा 7 फीसदी से ज्यादा होती है, इसलिए बाजार में इसका दाम भी अधिक मिलता है. यह भैंस हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान के अलावा नेपाल और बांग्लादेश तक पाली जा रही है. खास बात ये है कि यह हर मौसम में ढल जाती है और बीमारियां कम पकड़ती है.

दूध तभी बढ़ेगा जब चारा होगा संतुलित

कई बार अच्छी नस्ल होने के बावजूद भी दूध कम मिलता है. इसकी वजह होती है गलत चारा या चराई में कमी. मीडिया के एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक भैंस से रोजाना 20 लीटर दूध पाने के लिए उसे सही अनुपात में सूखा और हरा चारा देना जरूरी है. इसके लिए भैंस के आहार  में 50–60 फीसदी सूखा चारा (जैसे भूसा), 40–50 फीसदी हरा चारा (जैसे नेपियर, बरसीम) और 3.5 से 4 किलो दाना होना चाहिए. साथ ही 100 किलो दाना बनाने के लिए मक्का, खल्ली, चोकर, खनिज मिश्रण और नमक सही मात्रा में मिलाएं. यही फार्मूला दूध बढ़ाने में मदद करेगा.

सही फॉर्मूले से बनेगा पोषक आहार

अगर आप अपनी भैंस के लिए खुद दाना बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले 35 फीसदी मक्का, जौ या बाजरा लें. इसके बाद 32 फीसदी मूंगफली या सरसों की खल और 30 से 32 फीसदी गेहूं का चोकर या चूरी मिलाएं. फिर इसमें 2 फीसदी खनिज मिश्रण और 1 फीसदी नमक डालें. अगर फिश मील मिल जाए तो 5 से 10 फीसदी तक उसमें मिला सकते हैं.

ध्यान रखें कि सारी चीजें सूखी और अच्छी क्वालिटी की हों. अब इन सबको अच्छे से मिलाकर दाना तैयार कर लें और अपनी भैंस को रोजाना तय मात्रा में खिलाएं. अगर दाना सड़ा-गला या फफूंदी लगा होगा तो भैंस बीमार पड़ सकती है. इसलिए साफ-सुथरे और ताजे दाने का ही इस्तेमाल करें.

नतीजा मिलेगा तभी जब ध्यान देंगे

अगर आप मुर्रा जैसी अच्छी नस्ल की भैंस रखें, उसे साफ पानी, आरामदायक बाड़ा और संतुलित आहार दें तो रोजाना 18 से 20 लीटर दूध मिलना मुश्किल नहीं है. इससे दूध की मात्रा बढ़ेगी, खर्च कम होगा और कमाई ज्यादा. यानी पशुपालन मुनाफे का सौदा बनेगा, वो भी बिना झंझट के.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 9 Jul, 2025 | 05:23 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%