Cattle Infertility: इन वजहों से पशु गर्भ धारण नहीं कर पाते, पशुपालकों के लिए टिप्स
Cattle Infertility Issues: कई बार गाय-भैंस दूध नहीं देतीं या गर्भवती नहीं होतीं, जिससे किसानों को नुकसान होता है. पशुओं में बांझपन के कई कारण हैं-पोषण की कमी, संक्रमण और देखभाल की गलती. सही आहार, इलाज और प्रबंधन से इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है.
Livestock Infertility : गांव-देहात में जब गाय या भैंस दूध देना बंद कर देती है, तो किसान अक्सर इसे कुदरत की मर्जी मानकर छोड़ देते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि दूध न देने या बच्चे न होने की बड़ी वजह पशुओं में बढ़ता बांझपन है. यह समस्या न सिर्फ डेयरी उद्योग के लिए नुकसानदायक है, बल्कि किसानों की मेहनत और आमदनी दोनों पर असर डालती है. हालांकि, थोड़ी समझदारी और सही देखभाल से इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है.
पशुओं में बांझपन क्यों बढ़ रहा है
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में डेयरी किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- पशुओं का बांझपन. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दूध देने वाले करीब 10 से 30 प्रतिशत पशु बांझपन या प्रजनन से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं. इसके कई कारण हैं- गलत खानपान, संक्रमण, पोषण की कमी, हार्मोन असंतुलन और समय पर प्रजनन न होना. अक्सर किसान यह नहीं समझ पाते कि पशु कब हीट में हैं या गर्भ धारण के लिए तैयार हैं. इसका गलत समय तय करने से भी पशु गर्भवती नहीं हो पाते और धीरे-धीरे बांझ बन जाते हैं.
गाय और भैंस के यौन चक्र को समझना जरूरी
गाय और भैंसों में हर 18 से 21 दिन में एक बार यौन चक्र आता है, जो लगभग 18 से 24 घंटे तक चलता है. भैंसों में यह प्रक्रिया ज्यादा गुपचुप होती है, जिससे किसान पहचान नहीं पाते. इसलिए जरूरी है कि किसान दिन में कई बार पशु की गतिविधियों पर नजर रखें. अगर किसान सही समय पर प्रजनन करवाते हैं, तो गर्भ धारण की संभावना काफी बढ़ जाती है. इसलिए हर किसान को अपने पशुओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए- कब हीट आया, कब प्रजनन हुआ और कब दूध देना शुरू हुआ.
आहार और पोषण की बड़ी भूमिका
बांझपन का एक बड़ा कारण कुपोषण भी है. अगर गाय या भैंस को संतुलित भोजन नहीं मिलता, तो उनके हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और गर्भ ठहरने की संभावना घट जाती है. पशु के आहार में प्रोटीन, विटामिन, खनिज और ऊर्जा का संतुलन होना बेहद जरूरी है. किसानों को चाहिए कि वे अपने पशुओं को नियमित रूप से हरी घास, सूखा चारा, खनिज मिश्रण और साफ पानी उपलब्ध कराएं. गर्भावस्था के समय हरा चारा देना विशेष रूप से जरूरी होता है, इससे न सिर्फ मां का स्वास्थ्य सुधरता है बल्कि नवजात बछड़ा भी स्वस्थ पैदा होता है.
नियमित जांच और सफाई रखें जरूरी
पशुओं में संक्रमण बांझपन की बड़ी वजह बन सकता है. इसलिए हर 6 महीने में पशुओं का डीवर्मिंग (कीड़े निकालने) का इलाज करवाना चाहिए. इसके साथ ही, पशुओं की प्रजनन क्षमता की जांच समय-समय पर किसी प्रशिक्षित पशु चिकित्सक से करानी चाहिए. गर्भाधान के 60-90 दिन बाद पशु की गर्भावस्था की पुष्टि कर लेना जरूरी है, ताकि कोई समस्या हो तो समय रहते इलाज हो सके. इसके अलावा, स्वच्छ वातावरण और साफ बाड़े का होना भी अत्यंत आवश्यक है. गंदगी और संक्रमण गर्भाशय की बीमारियां बढ़ा सकते हैं, जो आगे चलकर बांझपन का कारण बनते हैं.
गर्भावस्था के दौरान खास ध्यान रखें
गर्भवती पशुओं को बाकी झुंड से अलग रखकर विशेष देखभाल करनी चाहिए. गर्भ के अंतिम महीनों में पशु को आरामदायक माहौल, पौष्टिक खाना और हल्का व्यायाम देना जरूरी है. प्रसव से लगभग दो महीने पहले दूध निकालना बंद कर देना चाहिए, ताकि पशु की ताकत बनी रहे और बछड़ा स्वस्थ पैदा हो. तनाव और लंबी दूरी के परिवहन से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. अगर गर्भावस्था के दौरान सभी नियमों का पालन किया जाए, तो पशु जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं और अगली बार भी समय पर गर्भ धारण कर लेते हैं.