मानसून में फफूंदी रोग से गलाघोंटू तक.. 5 खतरनाक बीमारियों से ऐसे बचाएं अपने दुधारू पशु

मानसून में नमी और गर्मी से पशुओं में संक्रमण और परजीवी हमलों के चलते रोग तेजी से फैलते हैं. ऐसे में पशुओं को स्वस्थ्य बनाए रखना चुनौती होती है.

नोएडा | Updated On: 1 Aug, 2025 | 07:07 PM

बारिश का मौसम जितना सुकून देने वाला होता है, उतनी ही चुनौतियां यह पशुपालकों के लिए लेकर आता है. मानसून के दौरान वातावरण में नमी और गर्मी बढ़ने से कई तरह के संक्रमण, बीमारियां और परजीवी पशुओं को घेर लेते हैं. अगर समय रहते सावधानी न बरती जाए तो दूध उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ता है. ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वे इस मौसम में खास एहतियात बरतें ताकि उनके पशु स्वस्थ रहें और दुग्ध उत्पादन में कमी न आए.

नमी और गंदगी बनती हैं बीमारियों की जड़

मानसून में सबसे बड़ी चुनौती है बाड़े की सफाई और नमी को दूर रखना. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लगातार बारिश के कारण पशुओं के रहने की जगह गीली और गंदी हो जाती है. इससे फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

परजीवियों और संक्रमण से बचाव है जरूरी

बारिश के मौसम में किलनी, जूं और अन्य बाहरी परजीवी तेजी से फैलते हैं. इनके कारण त्वचा रोग और खून की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

हरे चारे और आहार में रखें सावधानी

मानसून में हरे चारे की उपलब्धता तो अधिक होती है, लेकिन सभी चारे सुरक्षित नहीं होते. क्योंकि शुरुआती अवस्था में कटाई करने पर उनमें साइनाइड नामक जहर बनने की संभावना रहती है, जो पशुओं के लिए खतरनाक हो सकता है.

पशु चिकित्सकों की सलाह मानना है जरूरी

मानसून में कोई भी बीमारी शुरू होते ही पशु कमजोर हो सकते हैं और उनकी दुग्ध क्षमता घट सकती है.

Published: 1 Aug, 2025 | 08:50 PM

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