ये मछली खाई तो आफत में पड़ जाएगी जान, कैंसर से लेकर किडनी तक को कर देती है खराब

दराअसल हम जिस मछली की बात कर रहें हैं वह मांगुर नहीं थाई मागुंर मछली है. इसके सेवन से इंसानी सेहत को भारी नुकसान होता था. यही कारण है कि सरकार ने इस पर बैन लगा दिया है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 13 May, 2025 | 08:00 AM

भारत में मांगुर मछली के नाम से लोग अक्सर घबरा जाते हैं और इसकी एक बड़ी वजह है थाई मांगुर मछली, जिसे साल 2000 में ही बैन कर दिया गया था. यह मछली ना सिर्फ इंसानी सेहत के लिए खराब बन गई थी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बड़ी मुसीबत साबित हुई थी. लेकिन, इसी बीच देसी मांगुर मछली मछलीपालकों के लिए मुनाफे की नई राह बनकर उभरी है. आइए जानते हैं कि मांगुर से जुड़ी गलतफहमियां क्या हैं.

सेहत पर सीधा वार करती है थाई मांगुर

थाई मांगुर मछली का सेवन गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. यह पूरी तरह से मांसाहारी होती है और इसकी खुराक में गंदगी और सड़ी-गली चीजें भी शामिल रहती हैं. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि इसके मांस में 80 फीसदी तक लेड (सीसा) और आयरन पाया जाता है. इसका लगातार सेवन शरीर में आर्सेनिक, कैडमियम, मरकरी और क्रोमियम जैसे जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे कैंसर, लीवर की समस्या, प्रजनन तंत्र की खराबी और यूरोलॉजिकल बीमारियां हो सकती हैं. यही कारण है कि भारत सरकार ने 2000 में इसके पालन और बिक्री पर रोक लगा दी थी.

पर्यावरण का भी करती है विनाश

थाई मांगुर केवल मानव स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि जल-जैव विविधता के लिए भी बड़ा खतरा है. यह मछली बहुत ही आक्रामक होती है और तालाब में मौजूद सभी छोटी मछलियों, मेंढकों और कीड़ों को खा जाती है. इसके चलते तालाब की जैविक संरचना बिगड़ जाती है और ऑक्सीजन की कमी के कारण दूसरी प्रजातियों की मछलियां मरने लगती हैं. यही कारण है कि एक समय बाद पूरे जलाशय में केवल थाई मांगुर ही बचती है, जो पारिस्थितिक असंतुलन का कारण बनती है.

देसी मांगुर में है मुनाफे की पूरी गारंटी

थाई मांगुर के खतरे को देखते हुए, मछलीपालक अब देसी मांगुर पालन की ओर रुख कर रहे हैं. देसी मांगुर का पालन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और लाभकारी है. यह मछली सिर्फ 2 महीनों में 150 से 200 ग्राम तक बढ़ जाती है और इसकी बाजार कीमत लगभग 600 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है.

वहीं एक हेक्टेयर तालाब से मछलीपालक लगभग 3 से 4 टन देसी मांगुर का उत्पादन कर सकते हैं. इससे उनकी कुल बिक्री 18 लाख रुपये से ज्यादा तक हो सकती है. वहीं, पालन की कुल लागत लगभग 6 से 7 लाख रुपये आती है. देखा जाए तो देसी मांगुर से मुनाफा 12 लाख से भी अधिक हो सकता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 13 May, 2025 | 08:00 AM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%