Fish Farming: मछलियों को बीमार कर देता है ये परिजीवी, जानिए बचाव के 3 तरीके

मछली पालकों के लिए इनदिनों एक खास तरह का परजीवी मुसीत बना हुआ है. यह परजीवी मछलियों को बीमार कर रहा है, जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां हम बचाव के उपाय बता रहे हैं..

नोएडा | Updated On: 1 Jul, 2025 | 06:35 PM

मछली पालन करने वालों के लिए एक छोटी सी चूक बड़ा नुकसान बन सकती है. कई बार मछलियां बाहर से स्वस्थ दिखती हैं, लेकिन अंदर ही अंदर एक खतरनाक परजीवी उनकी सेहत को धीरे-धीरे खत्म कर रहा होता है. ऐसी ही एक बीमारी है ट्राइकोडिनोसिस, जो मछलियों के गलफड़ों और त्वचा पर असर डालती है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती है. इससे मछलियों की ग्रोथ रुक जाती है और वजन नहीं बढ़ पाता है. ध्यान नहीं दिए जाने पर मछलियां मरने भी लगती हैं. समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो पूरा तालाब खतरे में पड़ सकता है.

मछलियों के लिए घातक है परजीवी

केंद्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग के अनुसार ट्राइकोडिनोसिस एक आम लेकिन गंभीर बीमारी है. यह ट्राइकोडीना नामक प्रोटोजोआ परजीवी से फैलती है जो मछली के गलफड़ों और शरीर की बाहरी सतह पर रहता है. यह ट्राइकोडिनोसिस बीमारी मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है और धीरे-धीरे उनकी हालत खराब होने लगती है.

कैसे पहचानें इस बीमारी के लक्षण

बचाव के लिए अपनाएं ये 3 आसान तरीके

इन उपायों से न सिर्फ मछलियों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि पूरा तालाब सुरक्षित रह सकता है.

रोकथाम के लिए सतर्कता बरतना जरूरी

परजीवी दो तरह के होते हैं

मछलियों में दो तरह के परजीवी होते हैं, आंतरिक और बाहरी. आंतरिक परजीवी मछली के शरीर के अंदर जैसे शरीर गुहा, रक्त नलिका और वृक्क में पाए जाते हैं, जबकि बाहरी परजीवी त्वचा, गलफड़ों और पंखों पर असर करते हैं. ये परजीवी मछलियों को कमजोर कर देते हैं और समय पर इलाज न हो तो उनकी मृत्यु भी हो सकती है.

Published: 1 Jul, 2025 | 04:25 PM

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