गरीबों के लिए ‘देसी गाय’ हैं ये बकरियां, रोज देती हैं 4 से 5 लीटर दूध

देश में बकरी पालन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. टोगेनबर्ग, सानेन और एंग्लो न्युबियन जैसी उन्नत नस्ल की बकरियां अधिक दूध देने के लिए जानी जाती हैं. टोगेनबर्ग और सानेन नस्ल की बकरियां रोज 4-4.5 लीटर दूध देती हैं.

नोएडा | Updated On: 3 May, 2025 | 02:42 PM

Goat Farming: देश में बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पंजाब सहित लगभग अधिकांश राज्यों में किसान बकरी पालन से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को बकरी पालन करने के लिए सब्सिडी दी जाती है. इसके बावजूद भी कई किसानों को बकरी पालन में उतना अधिक मुनाफा नहीं हो रहा है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम बकरी पालन से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां बताएंगे, जिसे अपनाने के बाद किसानों को फायदा ही फायदा होगा.

दरअसल, बकरी पालन शुरू करने से पहले किसानों को बकरियों की उन्नत नस्लों की जानकारी जरूर होनी चाहिए. अगर किसान उन्नत नस्ल की बकरियों का चयन नहीं करते हैं, तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए किसान बकरी पालन शुरू करने से पहले नीचे बताए गए उन्नत नस्लों के बारे में जरूर जान लें.

बकरियों की उन्नत नस्लें

टोगेनबर्ग: टोगेनबर्ग बकरियों की एक उन्नत नस्ल है. इस नस्ल की बकरियां अधिक दूध देने के लिए जानी जाती हैं. टोगेनबर्ग नस्ल की एक बकरी एक दिन में 4 से 4.5 लीटर तक दूध देती है. अगर आप दूध का कारोबार शुरू करना चाहते हैं, तो इस नस्ल की बकरियों का पालन शुरू कर सकते हैं. ऐसे टोगेनबर्ग नस्ल की बकरियों का मूल स्थान स्विट्जरलैंड है. यानी स्विट्जरलैंड से इस नस्ल की बकरियां दूसरे देशों में पहुंची हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसके सिंघ नहीं होते हैं. इसका रंग सफेद और भूरा होता है

सानेन: इसी तरह सानेन नस्ल की बकरियों को चलता फिरता ATM का जाता है. यह भी अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है. यह रोजाना 4 लीटर तक दूध दे सकती है. इसका मूल स्थान भी स्विट्जरलैंड ही है, लेकिन इंडिया में भी किसान बड़े स्तर पर इसका पालन कर रहे हैं. इस नस्ल की बकरी को देसी गाय भी कहा जाता है. क्योंकि यह एक ब्यांत में 800 लीटर तक दूध दे सकती है. अभी इसका पालन 80 देशों में किया जा रहा है. यह बकरी 9 महीने में ही गर्भ धारण कर लेती है.

एंग्लो न्युबियन नस्ल: एंग्लो न्युबियन नस्ल की बकरियां दूध उत्पादन के लिए पूरे विश्व में मशहूर हैं. यूरोपीय देशों में इनको बड़े पैमाने पर पाला जा रहा है. यह बकरी रोजाना करीब 5 लीटर तक दूध दे सकती है, जो देसी पहाड़ी गाय के बराबर है. इसी वजह से इसे ‘गरीबों की गाय’ भी कहा जाता है. वहीं, इस नस्ल के बकरे मांस के लिए जाने जाते हैं. एंग्लो न्युबियन नस्ल के बकरे का वजन बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है. अगर आप इस नस्ल की बकरी का पालन करते हैं, तो दूध बेचने के साथ-साथ मांस बेचकर भी बंपर कमाई कर सकते हैं.

Published: 3 May, 2025 | 02:33 PM