पशुओं के इलाज का देसी तरीका, खेत-खलिहान में मिलेंगे बीमारी मिटाने वाले चमत्कारी पत्ते
दुधारू पशुओं की आम बीमारियों का इलाज खेतों में उगने वाले पत्तों से संभव है. नीम, कढ़ी पत्ता, अरंडी, बबूल जैसी प्राकृतिक औषधियां बिना दवा के पशुओं को स्वस्थ रखती हैं और इलाज का खर्च भी बचाती हैं.
अगर आपके दुधारू पशु बार-बार बीमार पड़ते हैं और इलाज में मोटा खर्च हो जाता है, तो अब घबराने की जरूरत नहीं है. कई बार जिन बीमारियों के लिए हम महंगी दवाइयों और डॉक्टरों पर निर्भर होते हैं, उनका इलाज हमारे खेत-खलिहान या आसपास की झाड़ियों में ही छिपा होता है. जिस तरह से इंसानों में नेचुरोपैथी और देसी इलाज का चलन बढ़ रहा है, वैसे ही पशुओं के लिए भी ऐसे प्राकृतिक नुस्खे बहुत कारगर साबित हो सकते हैं. सही जानकारी और समय पर प्रयोग से पशुओं को बिना दवा के भी स्वस्थ किया जा सकता है- वो भी कम खर्च में और सुरक्षित तरीके से.
पेट के कीड़े अब नहीं बनेंगे सिरदर्द
गाय-भैंस जैसे पशुओं को पेट के कीड़े होना आम बात है. अक्सर पशुपालकों को हर 6 महीने में महंगी दवाएं देनी पड़ती हैं. लेकिन अगर आप हर कुछ समय पर नीम और आड़ू के पत्ते खिलाएं, तो पेट के कीड़े खुद-ब-खुद खत्म हो सकते हैं. ये पत्तियां प्राकृतिक रूप से एंटी-पैरासिटिक होती हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के कीड़ों को मारती हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती हैं.
गर्मियों में दस्त? अब न डॉक्टर की दौड़, न खर्चा
गर्मी में पशुओं को दस्त लगना आम समस्या है. इसका इलाज देर से हो तो यह गंभीर भी हो सकता है. ऐसे में एक देसी और अचूक नुस्खा है- बबूल, अनार और अमरूद की पत्तियां. इनकी 50-50 ग्राम मात्रा मिलाकर पशु को खिलाएं. एक-दो खुराक में ही असर दिखेगा और दस्त रुक जाएंगे. इस नुस्खे से न केवल पैसा बचेगा, बल्कि पशु जल्दी स्वस्थ भी हो जाएगा.
दूध में खून आना? कढ़ी पत्ता है रामबाण इलाज
कई बार दुधारू पशुओं के दूध में खून आने की शिकायत होती है, जो काफी चिंता का कारण बनती है. मीडियी रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए सुबह-शाम 250 ग्राम कढ़ी पत्ता खिलाएं. कढ़ी पत्ता शरीर में सूजन को कम करता है और आंतरिक चोटों को ठीक करता है. लगातार कुछ दिनों तक देने पर दूध पूरी तरह साफ हो जाता है और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.
खूनी दस्त के लिए अरंडी का चमत्कारी रस
अगर पशु को खूनी दस्त हो जाए तो यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है. लेकिन इसका भी देसी समाधान है-अरंडी के पत्तों का रस. मीडिया रिपोर्ट के अमुसार सुबह और शाम इस रस को पिलाने से खूनी दस्त में तुरंत राहत मिलती है. इससे इलाज पर खर्च होने वाली बड़ी रकम बचाई जा सकती है और पशु को जल्दी आराम मिलता है.
थनैला रोग के लिए आलू का जादुई असर
थनैला रोग पशुओं की एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो दूध उत्पादन को सीधे प्रभावित करती है. इससे बचाव के लिए रोजाना चार आलू खिलाएं. आलू में भरपूर मात्रा में विटामिन C होता है, जो पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और थनैला जैसे रोगों से बचाव करता है. नियमित सेवन से पशु स्वस्थ और दूध उत्पादन बेहतर होता है.
नोट- ऊपर बताए गए सब घरेलू नुस्खे और देसी तरीके हैं, पशुपालक चिकित्सक से भी सलाह लें.