मध्यप्रदेश सरकार ने दुग्ध उत्पादन को लेकर बड़ा लक्ष्य तय किया है. रीवा में आयोजित प्रांतीय राजपत्रित पशु चिकित्सक संघ के राज्य स्तरीय सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल और पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री लखन पटेल ने जानकारी दी कि प्रदेश में रोज़ाना 10 लाख लीटर दूध के मौजूदा संग्रहण को बढ़ाकर 50 लाख लीटर प्रतिदिन तक ले जाने की दिशा में सरकार गंभीर प्रयास कर रही है. इस लक्ष्य को पाने के लिए ‘बाबा साहब अंबेडकर गौ संवर्धन योजना’ पहले से लागू है, जिसके तहत 25 दुधारू पशुओं की यूनिट्स बनाकर पशुपालकों को अनुदान दिया जा रहा है. सरकार के इस योजना से न केवल डेयरी व्यवसाय को नई दिशा मिलेगी, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
दूध उत्पादन 10 लाख से बढ़कर 50 लाख लीटर होगा
राज्य मंत्री लखन पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की प्राथमिकता में पशुपालन विभाग शामिल है. उन्होंने बताया कि ‘बाबा साहब अंबेडकर गौ संवर्धन योजना’ के तहत कम से कम 25 दुधारू पशुओं की एक यूनिट बनाई जा रही है और हर यूनिट पर अनुदान दिया जा रहा है. अभी प्रदेश में प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध का संग्रहण होता है, जिसे 50 लाख लीटर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है.
पशु चिकित्सा वैन के लिए हेल्पलाइन नंबर 1962
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की तरह ही पशु चिकित्सा अधिकारियों को भी सभी जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी. हेल्पलाइन 1962 की गाड़ियां पशुओं के इलाज में क्रांतिकारी भूमिका निभा रही हैं. इनकी संख्या दोगुनी करने की तैयारी है. उन्होंने ऐलान किया कि अगले दो वर्षों में प्रदेश की सभी बेसहारा गायों को गौशालाओं में रखा जाएगा. इसके बाद सड़कों पर कोई गौवंश बेसहारा नहीं दिखाई देगा.
25 हजार गायों के लिए बन रहा आश्रय
सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि निराश्रित और बीमार गौवंश की सेवा और पुनर्वास इस समय सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि सरकार आधुनिक गौशालाओं का निर्माण कर रही है, ताकि बेसहारा गायों को सुरक्षित आश्रय मिल सके और किसानों की फसलें भी सुरक्षित रहें. उन्होंने बताया कि रीवा के बसामन मामा गौवन्य विहार में अभी 7 हजार से अधिक गायों को आश्रय दिया गया है. वहीं हिनौती में एक और बड़ी गौशाला शुरू होने जा रही है, जिसका लक्ष्य 25 हजार गायों को समायोजित करने का है.
गोबर से ईंधन और खाद लाएगी समृद्धि
उपमुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि गौशालाओं को सिर्फ आश्रय स्थल ही नहीं, बल्कि पर्यटन और तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दूध न देने वाली गायें भी उपेक्षा की पात्र नहीं हैं, क्योंकि उनका गोबर और गौमूत्र बेहद उपयोगी है. प्रदेश में कई आधुनिक गौशालाओं में गोबर से सीएनजी प्लांट और उपयोगी वस्तुएं बनाने के प्रयोग शुरू हो चुके हैं.
डेयरी लगाने के लिए लोन और सब्सिडी
सम्मेलन में पशु चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. मनोज गौतम ने बताया कि सरकार ने गौवंश के लिए प्रति पशु अनुदान राशि 20 से बढ़ाकर 40 रुपए कर दी है. आधुनिक डेयरी निर्माण के लिए ऋण और अनुदान की सुविधा दी जा रही है. इस अवसर पर रीवा और शहडोल संभाग के अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, सेवानिवृत्त अधिकारी और पशु चिकित्सा संघ के सदस्य शामिल हुए. अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया और कार्यक्रम का संचालन अवनीश शर्मा ने किया.