किसानों पर भारी पड़ सकता है पशुबाड़े में अंधेरा, मवेशियों की सेहत बिगड़ने का खतरा

पशुबाड़े में उचित रोशनी की कमी मवेशियों की सेहत और सुरक्षा पर असर डाल सकती है. इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है.

नोएडा | Updated On: 11 May, 2025 | 12:03 PM

गांवों और कस्बों में पशुपालन, जहां लाखों परिवारों की आजीविका जुड़ी होती है, वहीं एक अहम पहलू को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, पशुबाड़े में रोशनी. पशुपालक अक्सर यह सोचते हैं कि दिन में रोशनी की कोई कमी नहीं होती, लेकिन रात के समय अंधेरे में पशुओं की देखभाल में आने वाली मुश्किलें उनके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती हैं. यह लापरवाही, पशुओं के उपचार और देखभाल में देरी का कारण बन सकती है, जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.

अंधेरे में देखभाल बनती है चुनौती

दरअसल, पशुबाड़े में पर्याप्त रोशनी न केवल रात के समय पशुओं की देखभाल में मदद करती है, बल्कि इससे बीमार या घायल पशु की पहचान भी जल्दी हो जाती है. अंधेरे में अगर किसी पशु को चोट लग जाए या वो किसी बीमारी से परेशान हो तो उसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है और इलाज में देर हो सकती है, जिससे नुकसान हो सकता है.

आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई संभव

कई बार रात में पशु को प्रसव पीड़ा होती है या अचानक कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. ऐसे में अगर बाड़े में रोशनी की सुविधा हो तो समय पर सही कदम उठाना आसान होता है. बिना रोशनी के अंधेरे में इलाज या सहायता देना जोखिम भरा हो सकता है.

पशु का व्यवहार और उत्पादन पर असर

पशुपालन विशेषज्ञों के अनुसार, अच्छी रोशनी से पशुओं का व्यवहार भी बेहतर होता है. जानवर खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं और कई बार रोशनी की कमी की वजह से उनमें चिड़चिड़ापन या तनाव भी देखा गया है. खासतौर पर दूध देने वाले पशु जैसे गाय या भैंस अगर तनाव में हों तो उनके दूध उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है.

सोलर लाइट और कम लागत के उपाय

अगर बिजली की सुविधा नहीं है तो भी समाधान हैं. आजकल बाजार में सोलर लाइट, बैटरी से चलने वाली लाइट या एलईडी बल्ब आसानी से उपलब्ध हैं, जो कम बिजली में ज्यादा रोशनी देते हैं. ये उपाय विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी हैं जहां बिजली की उपलब्धता सीमित है. यह न केवल किफायती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छा विकल्प है, क्योंकि ये नवीनीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं और ऊर्जा संकट को भी कम करने में मदद करते हैं.

Published: 11 May, 2025 | 12:03 PM