अपने उमदा स्वाद के लिए मशहूर है रामनगर का भंटा, बीज और वजन के चलते बना किसानों की पहली पसंद

भारत में बैंगन की कई किस्में उगाई जाती हैं, जो आकार, रंग और रूप में अलग-अलग होती हैं. इसे आमतौर पर सब्जियों और कई तरह के व्यंजनों में इस्तेमाल किए जाते हैं. इनमें विटामिन, मिनरल्स और आयरन की मात्रा होती है, लेकिन इनका पोषण किस्म के अनुसार बदलता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 5 Oct, 2025 | 02:01 PM

GI Tag Special: वाराणसी जिले के रामनगर की जब भी बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले रामनगर के किला की तस्वीर उभरकर सामने आती है. लेकिन  क्या आपको मालूम है कि रामनगर के किसानों द्वारा उगाए जाने वाला भंटा (बैंगन) केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मशहूर है. इसका स्वाद इतना उमदा है कि इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. जीआई टैग मिलते ही रामनगर के भंटे की मांग बढ़ गई  है. इससे यहां के किसानों की बंपर कमाई हो रही है. ते आइए जानते हैं रामनगर के भंटा की क्वालिटी के बारे में.

रामनगर भंटा सर्दियों में उगाई जाने वाली एक खास फसल है, जो अपने बेहतरीन स्वाद, चिकनेपन, रंग, वजन और आकार के लिए जाना जाता है. इसका रंग धीरे-धीरे हरे से पीले में बदलता है और स्थानीय किसान बीज तैयार  करने के लिए इन्हीं पीले भंटों का इस्तेमाल करते हैं. यह भंटा पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिनों से भरपूर होता है. इसका पौधा झाड़ी जैसा होता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 100 से 150 सेंटीमीटर तक हो सकती है. इसमें कई शाखाएं होती हैं और ये पूरी तरह खड़ा, आधा झुका या फैला हुआ भी हो सकता है.

साल में एक बार होती है इसकी खेती

हालांकि, रामनगर  भंटा पौधा बारहमासी है, लेकिन इसकी खेती साल में एक बार की जाती है. रामनगर भंटा की खास पहचान को देखते हुए साल 2023 में इसे जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) दिया गया, जो इसकी उत्पत्ति और गुणवत्ता की आधिकारिक मान्यता है. रामनगर भंटा का चोखा (भर्ता) के लिए बहुत पसंद किया जाता है. इस भंटा का आकार काफी बड़ा होता है. एक भंटा 2 से 2.5 किलो या उससे ज्यादा वजन का भी हो सकता है, जो इसकी खास पहचान है. रामनगर भंटा को इस क्षेत्र में भूनने, तलने, ग्रिल करने, बैक करने या बारबेक्यू में भी इस्तेमाल किया जाता है.

रामनगर भंटा की खासियत

ऐसे तो भारत में बैंगन की कई किस्में उगाई जाती हैं, जो आकार, रंग और रूप में अलग-अलग होती हैं. इसे आमतौर पर सब्जियों और कई तरह के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है. इनमें विटामिन और मिनरल्स जैसे फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन  की मात्रा होती है, लेकिन इनका पोषण किस्म के अनुसार बदलता है. रामनगर भंटा के फूलों की खास बात यह है कि इसका अंडाशय दो खंडों वाला (bilocular) होता है, जिसमें हर खंड में काफी संख्या में बीज बनने की क्षमता होती है. बीज अंडाशय के बीच स्थित मोटे हिस्से पर बनते हैं. इस किस्म में फूल के अंदर स्टाइल यानी परागनली की लंबाई भी ज्यादा होती है, जो इसकी एक विशेषता है.

कैसे की जाती है रामनगर भंटा की खेती

रामनगर भंटा की नर्सरी आमतौर पर बारिश के मौसम में, खासकर अगस्त से तैयार की जाती है. पौधे की देखभाल में जैविक तरीकों और पारंपरिक विधियों  का उपयोग किया जाता है. सही देखरेख के बाद अक्टूबर के मध्य से फल आना शुरू हो जाता है, लेकिन इसका मुख्य उत्पादन ठंड के पीक सीजन दिसंबर से फरवरी में होता है. इस किस्म की खास बात यह है कि जैसे ही ठंड में कोहरा पड़ता है, यह भंटा और बड़ा होने लगता है. ऐसे गर्मी के सीजन तक इसका उत्पादन होता है. उसके बाद, बड़े आकार के भंटे का रंग धीरे-धीरे हरे से पीला होने लगता है और किसान इसी पीले रंग वाले भंटे का इस्तेमाल परंपरागत बीज के रूप में करते हैं.

क्या होता है जीआई टैग

रामनगर भंटा को साल 2023 में GI टैग मिला. ऐसे GI मतलब जियोग्राफिकल इंडिकेशन होता है, जो एक एक खास पहचान वाला लेबल होता है. यह किसी चीज को उसके इलाके से जोड़ता है. आसान भाषा में कहें तो ये GI टैग बताता है कि कोई प्रोडक्ट खास तौर पर किसी एक तय जगह से आता है और वही उसकी असली पहचान है. भारत में साल 1999 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट’ लागू हुआ था. इसके तहत किसी राज्य या इलाके के खास प्रोडक्ट को कानूनी मान्यता दी जाती है. जब किसी प्रोडक्ट की पहचान  और उसकी मांग देश-विदेश में बढ़ने लगती है, तो GI टैग के जरिए उसे आधिकारिक दर्जा मिल जाता है. इससे उसकी असली पहचान बनी रहती है और वह नकली प्रोडक्ट्स से सुरक्षित रहता है.

रामनगर भंटा से जुड़ें आंकड़ें

  • साल 2023 में मिला रामनगर भंटा को जीआई टैग
  •  100 से 150 सेंटीमीटर तक हो सकती है पौधों की ऊंचाई
  • अगस्त महीने में तैयार की जाती है इसकी नर्सरी
  • साल में एक बार होती है रामनगर भंटा की खेती
  • एक भंटा का वजन  2 से 2.5 किलो तक होता है
  • भंटे में विटामिन और मिनरल्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं

 

 

 

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Published: 5 Oct, 2025 | 02:00 PM

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