पशुधन क्षेत्र में प्राइवेट इनवेस्‍टमेंट से बदलेगी किसानों की तकदीर!

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने राज्यसभा में बताया कि चारे की समस्या से निपटने के लिए निजी कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है.

Kisan India
Noida | Published: 21 Mar, 2025 | 06:56 PM

सरकार किसानों की आजीविका को बेहतर करने की दिशा में कई तरह के प्रयास कर रही है. इनमें से ही एक है पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की तरफ से निजी क्षेत्र की हिस्‍सेदारी को बढ़ाना. विभाग की तरफ से साल 2013 में बनाई गई राष्‍ट्रीय पशुधन नीति के माध्यम से भारत में पशुधन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. यह नीति चारे की कमी, कम उत्पादकता और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करती है. पशुधन उत्‍पादन को बढ़ावा देकर सरकार किसानों की आजीविका बेहतर करने की को‍शिशों में लग गई है.

चारा विकास पर हो रहा काम

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने राज्यसभा में जानकारी दी है कि राष्‍ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) 2014-15 से चल रहा है. साल 2021-22 में इसे तीन उप-मिशन के साथ फिर से लॉन्‍च किया गया था. पहले उप-मिशन के तहत मुर्गी, भेड़, बकरी और सूअर पालन में नस्ल सुधार के लिए 50 फीसदी पूंजी सब्सिडी के तौर पर दी जा रही है.

उन्‍होंने बताया कि चारे की समस्या से निपटने के लिए दूसरे उप-मिशन चारा विकास पर काम किया जा रहा है. इस मिशन के तहत निजी कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं सरकार का तीसरा उप-मिशन पशुधन बीमा और नए विचारों को आगे बढ़ाने से जुड़ा है. फरवरी 2024 में घोड़ों, ऊंटों और गधों की नस्लों के संरक्षण जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाया गया है.

चारा, बीज उत्‍पादन के लिए सब्सिडी

बघेल ने बताया कि एनएलएम के तहत 2381.12 करोड़ रुपये की 3295 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इसमें 1098.63 करोड़ रुपये की सब्सिडी शामिल है. इसके अलावा, चारा बीज उत्पादन के लिए सरकारी और भरोसेमंद संस्थानों को 100 फीसदी तक आर्थिक मदद दी जा रही है. उन्‍होंने बताया कि विभाग ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर एवियन इन्फ्लूएंजा से मुक्त पोल्ट्री डिब्बे भी शुरू किए हैं. यह निर्यात में मदद करेंगे.

नस्‍ल सुधार के लिए ब्‍याज की सुविधा

इसके साथ ही, पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) के जरिए निजी निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. इस योजना के तहत डेयरी, मीट प्रोसेसिंग, पशु चारा प्‍लांट और नस्ल सुधार जैसे क्षेत्रों में 3 फीसदी की ब्याज सहायता दी जा रही है. अब तक 353 परियोजनाओं में 16582 करोड़ रुपये का निवेश आया है. इसमें 293 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी शामिल है. चारे की कमी हमेशा से पशुओं के मालिकों के लिए बड़ी समस्‍या रही है. ऐसे में उम्‍मीद की जा रही है कि इन ऐलान से उन्‍हें कुछ राहत मिल सकेगी.

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