पराली जलाने की बजाय पशु को खिलाएं.. इस तरीके से बढ़ेगा दूध, बचेगा खर्च और मिट्टी बनेगी ताकतवर

Stubble Management: धान कटाई के बाद बची पराली अब किसानों के लिए समस्या नहीं, बल्कि समाधान बन रही है. सही तरीके से इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे, साइलेज और जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है. इससे चारे का खर्च घटता है, मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता.

नोएडा | Updated On: 28 Dec, 2025 | 06:03 PM

Crop Residue Management : खेतों में धान की कटाई के बाद बची पराली को अब तक ज्यादातर किसान बेकार समझते थे. कई जगह इसे जलाना मजबूरी बन जाता था, जिससे हवा खराब होती थी और मिट्टी की ताकत भी घटती थी. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो पराली वही चीज है, जिसे सही तरीके से इस्तेमाल कर लिया जाए तो यही पशुओं का अच्छा चारा बन जाती है, खेतों के लिए खाद बन जाती है और किसान की जेब भी बचा लेती है. सर्दियों में पराली का सही उपयोग पशु और किसान दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है.

पशुओं के लिए सस्ता और असरदार चारा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धान की पराली  में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. यह पशुओं के पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करता है. खासतौर पर सर्दियों में जब हरे चारे की कमी हो जाती है, तब पराली एक अच्छा विकल्प बन सकती है. हालांकि, बिना उपचार के पराली में प्रोटीन कम होता है, इसलिए पशु इसे कम खाते हैं. इसी समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक पराली के उपचार की सलाह देते हैं, जिससे यह ज्यादा पौष्टिक बन जाती है.

4 प्रतिशत यूरिया से बढ़ेगा पोषण

अगर पराली में 4 प्रतिशत यूरिया मिलाकर  उसका उपचार किया जाए, तो उसमें मौजूद प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पराली का स्वाद और पोषण दोनों  बेहतर हो जाते हैं. उपचार के बाद पशु पराली को आसानी से खा लेते हैं और दूध उत्पादन पर भी सकारात्मक असर दिखता है. इस तरीके से पराली न सिर्फ सस्ता चारा बनती है, बल्कि महंगे बाजारू चारे पर होने वाला खर्च भी कम हो जाता है.

साइलेज बनाकर रखें लंबे समय तक चारा

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पराली को संरक्षित कर साइलेज भी बनाया जा सकता है. साइलेज यानी ऐसा चारा, जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके. जब गर्मी या सूखे के दिनों में चारे की भारी कमी हो जाती है, तब यही साइलेज पशुओं के काम आता है. इससे पशुपालकों को हर मौसम में चारे  की चिंता नहीं रहती और पशुओं की सेहत भी बनी रहती है.

बिछावन से बनेगी खाद, बढ़ेगी मिट्टी की ताकत

पराली का एक और बड़ा फायदा है, जिसका इस्तेमाल कई किसान अब करने लगे हैं. पराली को पशुओं के रहने की जगह बिछाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. कुछ समय बाद यह गोबर और मूत्र के साथ मिलकर बेहतरीन जैविक खाद में बदल जाती है. इस खाद को खेतों में डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक खाद  की जरूरत कम हो जाती है. इससे खेती का खर्च घटता है और जमीन की सेहत भी सुधरती है.

जलाने की बजाय अपनाएं सही तरीका

कुल मिलाकर, पराली जलाना किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है. इससे पर्यावरण को नुकसान  होता है और किसान खुद भी एक उपयोगी संसाधन खो देता है. वहीं, सही जानकारी और तरीके से पराली का इस्तेमाल किया जाए, तो यही पराली पशुओं का पोषण बढ़ाती है, खेतों की ताकत लौटाती है और किसान की आमदनी  बचाने में मदद करती है. साफ है कि पराली अब समस्या नहीं, बल्कि समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो एक बड़ा समाधान बन सकती है.

Published: 28 Dec, 2025 | 10:32 PM

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