खरीफ का रकबा 708 लाख हेक्टेयर के पार, जानिए कौन सी फसल की कितनी हुई बुवाई

18 जुलाई 2025 तक देश में कुल 708.31 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा 680.38 लाख हेक्टेयर था. यानी कुल बुवाई में 4 फीसदी की बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन शुरुआती हफ्तों के मुकाबले इस बार की साप्ताहिक प्रगति कमजोर रही है.

नई दिल्ली | Updated On: 22 Jul, 2025 | 10:54 AM

देश में इस बार बारिश का मिजाज थोड़ा अलग रहा. कहीं ज्यादा तो कहीं बहुत कम. इसी का असर इस साल खरीफ फसलों की बुवाई पर साफ दिख रहा है. देश में अब तक कुल अनुमानित खरीफ क्षेत्र के 65 फीसदी हिस्से में बुवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन रफ्तार पिछले सालों के मुकाबले थोड़ी सुस्त है. इसके बावजूद कुल बुवाई रकबा पिछले साल से 4 फीसदी ज्यादा दर्ज हुआ है.

खरीफ बुवाई की मौजूदा स्थिति

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, 18 जुलाई 2025 तक देश में कुल 708.31 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा 680.38 लाख हेक्टेयर था. यानी कुल बुवाई में 4 फीसदी की बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन शुरुआती हफ्तों के मुकाबले इस बार की साप्ताहिक प्रगति कमजोर रही है. 4 जुलाई के सप्ताह में जहां 180 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, वहीं 11 जुलाई को यह घटकर 160 लाख हेक्टेयर और 18 जुलाई को महज 110 लाख हेक्टेयर पर सिमट गई.

मानसून का असमान वितरण

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 जून से 21 जुलाई के बीच देश में कुल मिलाकर बारिश सामान्य से 7 फीसदी अधिक हुई है. लेकिन बारिश का यह फायदा सभी राज्यों को समान रूप से नहीं मिला.

  • पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 22 फीसदी कम रही
  • दक्षिण भारत में बारिश 6 फीसदी कम
  • मध्य भारत (ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात) में बारिश 24 फीसदी अधिक
  • उत्तर-पश्चिम भारत (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान) में बारिश 30 फीसदी ज्यादा

इस असमान वितरण का असर फसलों पर साफ नजर आ रहा है. जहां कुछ क्षेत्रों में अधिक बारिश से बुवाई में देरी और पानी भराव की समस्याएं हो रही हैं, वहीं अन्य जगहों पर किसानों को अब भी अच्छी बारिश का इंतजार है. यही कारण है कि खरीफ बुवाई की रफ्तार इस साल थोड़ी धीमी पड़ गई है.

किन फसलों में बढ़ोतरी, कहां गिरावट?

धान

देश की सबसे अहम खरीफ फसल धान इस बार किसानों की पहली पसंद बनती दिख रही है. अब तक 176.68 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 12.4 फीसदी ज्यादा है. अच्छी बारिश और सही समय पर खेत तैयार हो जाने से किसानों ने धान की बुवाई में तेजी दिखाई है.

दालें

दालों की खेती में कुल मिलाकर थोड़ी बढ़त दर्ज हुई है. अब तक 81.98 लाख हेक्टेयर में दालें बोई जा चुकी हैं, जो पिछले साल से 2.3 फीसदी ज्यादा है. हालांकि सभी दालों की स्थिति एक जैसी नहीं है:

उड़द

इस बार सबसे ज्यादा गिरावट उड़द की बुवाई में देखी गई है. अब तक केवल 14.45 लाख हेक्टेयर में ही बोई गई है, जो पिछले साल से 12.5 फीसदी कम है.

अरहर (तुअर)

अरहर की खेती में भी 5.1 फीसदी की कमी आई है और यह घटकर 30.09 लाख हेक्टेयर रह गई है.

मूंग

इस बीच, मूंग की बुवाई में 11.4 फीसदी की अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अब तक 27.31 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो चुकी है.

अनाज और मोटे अनाज

खरीफ सीजन में मोटे अनाज की खेती में इस बार जोरदार उछाल देखा जा रहा है. अब तक कुल 133.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इनकी बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 13.6 फीसदी अधिक है. यह बढ़ोतरी दिखाती है कि किसान इन फसलों को लेकर इस साल खासे उत्साहित हैं.

मक्का

मक्का की बुवाई में सबसे ज्यादा उछाल आया है. अब तक 71.21 लाख हेक्टेयर में मक्का बोया जा चुका है, जो पिछले साल से 15.4 फीसदी ज्यादा है. इसका एक कारण बाजार में अच्छी कीमतों की उम्मीद और मक्के की बहुउपयोगिता भी है.

बाजरा

बाजरे की खेती भी इस बार बढ़ी है. अब तक 48.94 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया है, जो पिछले साल के 42.09 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अच्छी बढ़ोतरी दर्शाता है. शुष्क और कम पानी वाले क्षेत्रों में इसकी मांग ज्यादा है.

ज्वार

ज्वार की बुवाई में हल्की-सी बढ़त दर्ज की गई है. अब तक 9.99 लाख हेक्टेयर में बोई गई है, जो पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है.

तेलहन फसलें

खरीफ सीजन में जहां कुछ फसलें रफ्तार पकड़ रही हैं, वहीं तेलहन और नकदी फसलें (Cash Crops) थोड़ी पिछड़ती दिख रही हैं. इस साल अब तक कुल 156.76 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुवाई हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले 3.7 फीसदी कम है. यह क्षेत्र विशेष रूप से चिंता का कारण बनता जा रहा है.

सोयाबीन

तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा असर सोयाबीन पर पड़ा है. इसकी बुवाई 6.1 फीसदी घटकर 111.67 लाख हेक्टेयर रह गई है. यह गिरावट कई राज्यों में मानसून की देरी और किसानों की बदलती प्राथमिकताओं से जुड़ी हो सकती है.

सूरजमुखी

इसकी बुवाई भी हल्की गिरावट के साथ 0.54 लाख हेक्टेयर पर रह गई, जो पिछले साल से थोड़ी कम है.

मूंगफली

थोड़ी राहत की बात यह है कि मूंगफली की बुवाई में 2.3 फीसदी की हल्की बढ़त हुई है, और यह अब 38.01 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है.

कपास में भी कमी, लेकिन गन्ना बना स्थिर

कपास: कपास की बुवाई में भी 3.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. अब तक 98.55 लाख हेक्टेयर में कपास बोई गई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 102.05 लाख हेक्टेयर था. कपास की बुवाई में कमी कीमतों और मानसून की अस्थिरता से जुड़ी हो सकती है.

गन्ना: गन्ने की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. अब तक 55.16 लाख हेक्टेयर में गन्ना लगाया गया है, जो पिछले साल के 54.88 लाख हेक्टेयर से थोड़ा ज्यादा है. हालांकि, इस आंकड़े में सीजन के अंत तक थोड़ा बदलाव हो सकता है.

जूट और मेस्ता: इनकी बुवाई भी इस साल 2.1 फीसदी कम रही और अब तक 5.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही इनकी खेती हुई है.

Published: 22 Jul, 2025 | 09:53 AM